फ्रांसिस क्रिक इंस्टीट्यूट और यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन हॉस्पिटल्स एनएचएस फाउंडेशन ट्रस्ट (यूसीएलएच) की टीम ने कहा कि यह समझना कि कैसे कुछ वेरिएंट अन्य वेरिएंट के खिलाफ एक प्रभावी एंटीबॉडी प्रतिक्रिया को ट्रिगर करने में सक्षम हो सकते हैं, भविष्य के टीके का डिजाइन सूचित करने में मदद कर सकते हैं।
जर्नल ईलाइफ में प्रकाशित अपने अध्ययन में, वैज्ञानिकों ने उन रोगियों से एकत्र किए गए रक्त के नमूनों का विश्लेषण किया, जो पहले कोविड-19 से संक्रमित थे और जिन्हें महामारी की शुरुआत में अलग-अलग बिंदुओं व अन्य कारणों से यूसीएलएच में भर्ती कराया गया था। साथ ही वहां के स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों के नमूनों और साथ ही रोगियों से एकत्र किए गए नमूनों का विश्लेषण किया गया।
उन्होंने रक्त में कोविड-19 एंटीबॉडी की पहचान की और प्रयोगशाला में यह देखने के लिए परीक्षण किए गए कि क्या एक प्रकार के संक्रमण के बाद उत्पन्न एंटीबॉडी अन्य प्रकारों को बांधने और बेअसर करने में सक्षम हैं।
अध्ययन में शामिल किए गए थे : पहली बार चीन के वुहान में खोजा गया मूल स्ट्रेन, अप्रैल 2020 में पहली लहर के दौरान यूरोप में उत्पन्न प्रमुख स्ट्रेन (डी614जी), अल्फा (बी117), पहली बार यूके में खोजा गया और पहली बार दक्षिण अफ्रीका में खोजा गया बीटा (बी1351)।
शोधकर्ताओं ने पाया कि अल्फा वेरिएंट को बेअसर करने की तुलना में अल्फा वेरिएंट द्वारा उत्पादित एंटीबॉडी मूल या डी614जी उपभेदों को प्रभावी ढंग से बेअसर करने में सक्षम नहीं हैं।