हमारे देश में कहावत है जैसा खाए अन्न, वैसा हो जाए मन. यानि हम जैसा भी भोजन करते है, उसका प्रभाव ना सिर्फ हमारे शरीर पर पड़ता है बल्कि हमारे मन और हमारी सोच पर भी पड़ता है, और जब बात बच्चों की हो तो और भी जरूरी हो जाता है वे अपने सही शारीरिक और मानसिक विकास के लिए स्वास्थ्यवर्धक और पोषक भोजन खाएं. लेकिन हमारे देश में आज भी बड़ी संख्या में बच्चे और महिलायें पोषक भोजन के अभाव में कुपोषण का शिकार हो जाते है. यही नहीं स्थिति ज्यादा खराब होने पर कई बच्चों और महिलाओं को अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ता है. कुपोषण से ग्रसित ऐसे ही बहुत से बच्चों और महिलाओं की मदद के उद्देश्य से हर साल भारत सरकार द्वारा सितंबर के पहले सप्ताह में राष्ट्रीय पोषण सप्ताह मनाया जाता है.
वीएलसीसी हेल्थकेयर लिमिटेड की पोषण विभाग की कार्यक्रम प्रमुख डॉ. दीप्ति वर्मा ने पोषण अभियान के बारे में जानकारी देते हुए बताया की वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान के झुंझुनू क्षेत्र से इस समग्र 'पोषण अभियान' की शुरुआत की थी. जिसका उद्देश्य शहर, ब्लॉक तथा ग्राम स्तर पर 6 साल की उम्र तक के बच्चों, लड़कियों, गर्भवती महिलाओं तथा स्तनपान कराने वाली माताओं में कुपोषण की जांच कर उनकी मदद करना था. तब से भारत वर्ष के हर राज्य, शहर, कस्बे तथा गांव में आने वाली पीढ़ी को कुपोषण रहित बनाने के संकल्प के साथ इस अभियान का बड़े स्तर पर आयोजन किया जाता है. जिसके तहत कुपोषित बच्चों और महिलाओं को ढूंढ कर उन्हें चिन्हित किया जाता है तथा उनकी मदद की जाती है.
इस अभियान के महत्व को समझते हुए सरकार ने इस बार 9 सितंबर 2020 से 'राष्ट्रीय पोषण सप्ताह' की बजाय 'राष्ट्रीय पोषण माह 2020' मनाने का निर्णय लिया है.
पोषण के लिए पौधे योजना