गहरी सांस लेने को ध्यान या मेडिटेशन का मुख्य अंग भी माना जाता है। योग में भी श्वास के सही अभ्यास को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इस संबंध में किए गए विभिन्न शोधों के नतीजे बताते हैं कि ध्यान तथा सही तकनीक से सांस लेने की प्रक्रिया चिंता को कम करने, याददाश्त तेज करने, अवसाद से राहत दिलाने तथा नींद को बेहतर बनाने में मदद करता है। अलग अलग देशों और पंथ में सांस लेने की विभिन्न तकनीकों के बारें में बताया गया है। दुनिया भर में प्रचलित श्वास संबंधी तकनीकों को लेकर ETV भारत सुखीभवा ने ब्रिदिंग एक्सपर्ट व प्रशिक्षक तथा जैविक वैलनेस की प्रमुख नंदिता तथा योगाचार्य मीनू वर्मा से बात की। विशेषज्ञों से बातचीत के आधार पर हम आपके साथ साँझा कर रहे हैं विभिन्न धर्मों और पंथ में अपनाई जाने वाली ब्रिदिंग तकनिक।
- कुंडलिनी (डायाफ्राम श्वास)
योग में कुंडलिनी ध्यान का विशेष महत्व माना जाता है। इस अभ्यास में, श्वास तकनीकों के माध्यम से श्वास को नियंत्रित कर शरीर के भीतर गतिमान ऊर्जा को केंद्रित करने का प्रयास किया जाता है । हिंदू संस्कृती में, कुंडलिनी का अर्थ "कुंडलित सांप" के रूप में संदर्भित किया जाता है। प्राचीन मान्यता तथा योग दर्शन के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति की रीढ़ उसके शरीर की ऊर्जा को वहन करती है। कुंडलिनी में इस ऊर्जा को जगाने, जारी रखने तथा अतिरिक्त व अनावश्यक ऊर्जा का दोहन करने का प्रयास किया जाता है। इस प्रक्रिया में डायाफ्राम से सांस लेने के लिए निर्देशित किया जाता हैं। गौरतलब है की डायाफ्राम मांसपेशी फेफड़ों के नीचे स्थित होती है और इसे सांस लेने के लिए सबसे कुशल मांसपेशी माना जाता है । सही मार्गदर्शन में कुंडलिनी का अभ्यास सांस की तकलीफ को कम करने के अलावा पुराने प्रतिरोधी फुफ्फुसीय रोग से पीड़ित लोगों के लिए उपयोगी होता है।
- नाड़ी शोधन और प्राणायाम
योगाचार्य मीनू वर्मा बताती है की योग में प्राणायाम का विशेष महत्व माना जाता है। इस अभ्यास में नाडी शोधन के लिए सांस को नियंत्रित करने का अभ्यास किया जाता है। यह कई प्रकार का होता है।
दिसंबर 2017 में मेडिकल साइंस मॉनिटर बेसिक रिसर्च में प्रकाशित एक अध्ययन में भी माना गया है की इस प्रकार के सांस लेने के नियमित अभ्यास से रक्तचाप को कम होता है और सतर्कता बढ़ जाती है।
- शमथा शमता