बच्चे के जन्म के बाद उसके शरीर के सही विकास तथा उसे बीमारियों के दूर रखने के लिए स्तनपान यानी माता के दूध का सेवन उसके लिए बहुत जरूरी माना जाता है. विशेषतौर पर जन्म के बाद पहले छह महीने तक भूख शांत करने तथा शरीर की सभी जरूरतों को पूरा करने के लिए बच्चा माता के दूध पर ही निर्भर रहता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) का भी मानना है कि जरूरी मात्रा में स्तनपान करने वाले बच्चे बौद्धिक व शारीरिक रूप से (Breastfeeding Benefits to mother child) ज्यादा फिट होते हैं.
माना जाता है कि स्तनपान करने से सिर्फ बच्चे की भूख ही शांत नही होती है बल्कि यह मां और बच्चे के बीच के भावनात्मक संबंध को बेहतर करने में भी मदद करता है. लेकिन कई बार स्वास्थ्य समस्याओं के इतर भी कुछ महिलायें विभिन्न कारणों से बच्चे को स्तनपान कराने से हिचकती है. यूनिसेफ की एक रिपोर्ट (UNICEF Breastfeeding Report) के अनुसार, दुनियाभर में कुल शिशुओं में से लगभग 60% को 6 महीने तक जरूरी मात्रा में ब्रेस्टफीडिंग नहीं मिलती है. नई माताओं को उनके तथा बच्चे के स्वास्थ्य की बेहतरी तथा उनके व बच्चे के संबंध को मजबूत करने के लिए स्तनपान की जरूरत के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से 1 अगस्त से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह (World Breastfeeding Week 1st August to 7th August) मनाया गया. इस साल यह विशेष आयोजन “स्तनपान शिक्षा और सहायता के लिए कदम बढ़ाएं” थीम पर मनाया गया.
इतिहास :विश्व स्तनपान सप्ताह का आयोजन हर वर्ष डब्ल्यूएबीए, डब्ल्यूएचओ और यूएनआईसीईएफ (WABA) द्वारा किया जाता है. गौरतलब है कि वर्ष 1990 में विश्व स्वास्थ्य संगठन और संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय बाल आपातकालीन कोष (UNICEF) द्वारा स्तनपान को समर्थन और प्रोत्साहित करने के लिए एक प्रस्ताव तैयार किया गया था. जिसके उपरांत 14 फरवरी 1991 को “द वर्ल्ड एलायंस फॉर ब्रेस्टफीडिंग एक्शन” (The World Alliance for Breastfeeding Action) की स्थापना की गई थी.
पहला विश्व स्तनपान सप्ताह 1992 में मनाया गया था. शुरुआत में केवल 70 देशों ने विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया था, लेकिन वर्तमान समय में इस अवसर 170 देशों में स्तनपान की रक्षा, प्रचार और समर्थन के लिए विभिन्न प्रकार के आयोजन तथा जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाते हैं. इस वर्ष यह विशेष आयोजन “स्तनपान शिक्षा और सहायता के लिए कदम बढ़ाएं” थीम पर मनाया जा रहा है.
क्या कहते हैं आंकड़े :विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा जारी एक जानकारी के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र द्वारा विश्व स्तर पर साल 2016 में कुछ आँकड़े एकत्रित किये गए थे. जिनके अनुसार दुनियाभर में 41 मिलियन बच्चे मोटापे से ग्रस्त हैं. जबकि 5 वर्ष से कम उम्र के लगभग 155 मिलियन बच्चों का शारीरिक व मानसिक विकास उनकी उम्र के अनुसार कम मात्रा में होता है. सूचना के अनुसार यदि जन्म के बाद कम से कम साल भर तक बच्चा माता का स्तनपान करता है तो इन सहित कई अन्य समस्याओं से बचा रह सकता है. लेकिन आंकड़ों की माने तो विश्व स्तर पर, छह महीने से कम उम्र के केवल 40% शिशु ही जरूरी मात्रा में स्तनपान करते हैं.
भारत में स्तनपान को लेकर उपलब्ध आंकड़ों की बात करें तो देश में तीन साल से कम उम्र के बच्चों में स्तनपान को लेकर उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है. 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में किए गए (NFHS) राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (National Family Health Survey) – 5 के आंकड़ों के अनुसार सिक्किम में जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान शुरू करने वाले बच्चों की दर में 33.5 % तक की सबसे तेज गिरावट दर्ज की गई है. वहीं दूसरी ओर, लक्षद्वीप और मेघालय दोनों राज्यों में जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान कराने में 18% से अधिक की वृद्धि दिखाई दी है.
मां-बच्चे के लिए जरूरी :विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, स्तनपान बच्चे को स्वस्थ तथा सुरक्षित रखने के सबसे प्रभावी तरीकों में से एक है. स्तनपान से ना सिर्फ बच्चों, बल्कि माताओं के स्वास्थ्य को भी काफी लाभ मिलते हैं. बच्चों के स्वास्थ्य की बात करें तो विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी सूचना के अनुसार स्तनपान करने वाले बच्चों के स्वास्थ्य पर इसके दीर्घकालिक लाभ नजर आते हैं. जैसे जो बच्चे जरूरी मात्रा में स्तनपान करते हैं उनमे अधिक वजन या मोटापे की समस्या होने की आशंका कम होती है.
स्तनपान शिशुओं को बचपन में होने वाली बीमारियों से बचाता है तथा उनके शरीर के लिए जरूरी सभी पोषक तत्व तथा एंटीबॉडी उन्हे प्रदान करता है. जो उन्हें सामान्य बचपन की बीमारियों जैसे दस्त और निमोनिया से बचाने में मदद करते हैं. ऐसे बच्चों में टाइप- II डायबिटीज होने की आशंका भी कम होती है और वे अपेक्षाकृत ज्यादा बुद्धिमान होते हैं. विशेषतौर पर जन्म के तत्काल बाद माता के स्तन से निकलने वाले दूध, जिसे कोलोस्ट्रम कहा जाता है , को नवजात बच्चे के लिए बहुत जरूरी माना जाता है. इसे चिकित्सक एक प्राकृतिक वैक्सीन की संज्ञा भी देते हैं क्योंकि इसमें सभी जरूरी प्रतिरक्षा तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो बच्चे को किसी भी संक्रमण से बचाने का काम करते हैं . वहीं इसके अलावा माता के दूध में बच्चे के लिए जरूरी सभी पोषक तत्वों जैसे कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन और खनिज, और संक्रमण से लड़ने के लिए एंटीबॉडी, भरपूर मात्रा में (necessary nutrients for baby carbohydrates, proteins, vitamins and minerals, and antibodies to fight infection, are found in abundance in mother's milk) पाए जाते है. इसलिए जन्म के बाद कम से कम एक साल तक बच्चे को स्तनपान अवश्य कराना चाहिए.
माता के स्वास्थ्य को फायदे (Breastfeeding Benefits to mother) :विश्व स्वास्थ्य संगठन के (WHO)अनुसार स्तनपान के माता के स्वास्थ्य को भी काफी फायदे होते हैं जैसे नियमित रूप से बच्चे को स्तनपान कराने वाली माताओं के बच्चे के जन्म के बाद पहले छह महीनों तक दोबारा गर्भधारण की उम्मीद 98% तक कम होती है. इसके अलावा यह स्तन और ओवेरियन कैंसर (Breast and ovarian cancer), हृदय रोग, टाइप 2 डायबिटीज (Heart disease, Type 2 diabetes) और माताओं में प्रसव उपरांत डिप्रेशन की समस्या के जोखिम को कम करता है.