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Breast Cancer : ब्रेस्ट मिल्क स्तन कैंसर का शीघ्र पता लगाने में मदद कर सकता है - Breast milk help early detection of breast cancer

Breast cancer : कैंसर महिलाओं में होने वाली मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण है ब्रेस्ट कैंसर तथा उसके इलाज को लेकर लगातार नई रिसर्च की जा रही है. रिसर्च में पता चला है कि ब्रेस्ट मिल्क में ट्यूमर डीएनए होता है. रिसर्च टीम ने स्तन कैंसर के शुरुआती निदान की संभावित विधि के रूप में एक एनजीएस-आधारित जीनोमिक पैनल विकसित किया

Breast milk help early detection of breast cancer
ब्रेस्ट मिल्क स्तन कैंसर

By IANS

Published : Sep 16, 2023, 7:53 AM IST

Updated : Sep 16, 2023, 10:55 AM IST

लंदन :स्पेनिश शोधकर्ताओं ने पहली बार पाया कि ब्रेस्ट कैंसर के रोगियों के दूध में ट्यूमर डीएनए होता है, और यह दुनिया भर में महिलाओं को प्रभावित करने वाले सबसे आम प्रकार के कैंसर का जल्द पता लगाने में मदद कर सकता है. ट्यूमर डीएनए, जिसे सर्कुलेटिंग ट्यूमर डीएनए (सीटीडीएनए) के रूप में जाना जाता है, ब्रेस्ट मिल्क में लिक्विड बायोप्सी से पता लगाया जा सकता है, पारंपरिक इमेजिंग का उपयोग कर स्तन कैंसर का निदान करने से पहले भी. कैंसर डिस्कवरी जर्नल में प्रकाशित शोध से पता चलता है कि प्रसव के बाद ब्रेस्ट कैंसर के शीघ्र निदान के लिए यह एक नया उपकरण बन सकता है.

यह निष्कर्ष स्पेन के वैल डी'हेब्रोन यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं द्वारा तब निकाला गया जब एक महिला को अपनी तीसरी बेटी के साथ गर्भवती होने के दौरान ब्रेस्ट कैंसर का पता चला और उसके दूध से उसकी दूसरी बेटी में ट्यूमर के फैलने के संभावित खतरे के बारे में चिंता व्यक्त की गई. विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ ऑन्कोलॉजी (वीएचआईओ) में ब्रेस्ट कैंसर समूह की प्रमुख डॉ. क्रिस्टीना सौरा ने कहा, "रोगी हमारे लिए ब्रेस्ट मिल्क का सैंपल लेकर आई जिसे उसने अपने फ्रीजर में संग्रहीत किया था. यहीं से हमारी रिसर्च शुरू हुई. हालांकि हम जानते हैं कि स्तन कैंसर ब्रेस्ट मिल्क से नहीं फैलता है, हमने सैंपल का विश्लेषण करने का फैसला किया, और वास्तव में, जब हमने मरीज के ब्रेस्ट मिल्क का विश्लेषण किया, तो हमें उसी म्यूटेशन के साथ डीएनए मिला जो उसके ट्यूमर में मौजूद था. मरीज के कैंसर के निदान से एक साल से अधिक समय पहले स्तन का दूध जमा कर दिया गया था."

स्तन कैंसर!

इसके बाद शोधकर्ताओं ने गर्भावस्था या प्रसव के बाद निदान किए गए 15 ब्रेस्ट कैंसर रोगियों के साथ-साथ स्तनपान कराने वाली स्वस्थ महिलाओं से ब्रेस्ट मिल्क और ब्लड के सैंपल एकत्र किए. दो तकनीकों, नेक्स्ट जेनरेशन सीक्वेंसिंग (एनजीएस) और ड्रॉपलेट डिजिटल पीसीआर (डीडीपीसीआर) का उपयोग किया गया. वीएचआईओ की जीनोमिक्स प्रयोगशाला की प्रमुख डॉ एना विवांकोस ने कहा, "हमने पाया कि ब्रेस्ट मिल्क में ट्यूमर की उत्पत्ति का मुक्त परिसंचारी डीएनए था. हम विश्लेषण किए गए 15 रोगियों में से 13 के ब्रेस्ट मिल्क के सैंपल में उन म्यूटेशन का पता लगाने में सक्षम थे जो स्तन कैंसर के रोगियों के ट्यूमर में मौजूद थे. जबकि एक ही समय में एकत्र किए गए रक्त के नमूनों में से केवल एक में सीटीडीएनए पाया गया."

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इस तकनीक का उपयोग भविष्य में हो सकता है
इसके अलावा, टीम ने ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती निदान की संभावित विधि के रूप में एक एनजीएस-आधारित जीनोमिक पैनल विकसित किया. सार्वजनिक रूप से उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर, शोधकर्ताओं ने 45 वर्ष की आयु से पहले निदान की गई स्तन कैंसर वाली महिलाओं में मौजूद सबसे अधिक म्यूटेशन का पता लगाने के लिए वीएचआईओ-वाईडब्ल्यूबीसी जीन पैनल डिजाइन किया. पैनल की संवेदनशीलता 70 प्रतिशत से अधिक है. डॉ. सौरा बताते हैं, "इस पैनल का उपयोग भविष्य में प्रसव के बाद ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती निदान के लिए एक विधि के रूप में किया जा सकता है. जिस तरह सभी नवजात शिशुओं की एड़ी चुभाई जाती है, उसी तरह स्तन कैंसर की जांच के लिए जन्म के बाद सभी महिलाओं से स्तन के दूध का नमूना इकट्ठा करने पर भी विचार किया जा सकता है."

Last Updated : Sep 16, 2023, 10:55 AM IST

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