यदि आपके स्तन में या बगल में कोई गांठ है, तो सचेत हो जाइए, क्योंकि स्तन की गांठ स्तन कैंसर के मुख्य लक्षणों में से एक है. आंकड़ों की माने तो भारतीय महिलाओं में स्तन कैंसर के मामले अधिक सामने आते हैं. इंडियन कैंसर सोसायटी के मुताबिक, हर 28 में से एक महिला को यह कैंसर होने का खतरा रहता है. स्तन कैंसर आज के समय की सबसे गंभीर बीमारियों में से एक है, जिसका सही समय पर इलाज ना मिलने पर महिला की मृत्यु तक हो सकती है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार साल 2018 में लगभग 1 लाख 62 हजार 468 स्तन कैंसर के मामले सामने आए थे. जिनमें से 87 हजार 90 महिलाओं की मृत्यु इस बीमारी के चलते हो गई थी. स्तन कैंसर गंभीर बीमारी है और इसका इलाज भी सरल नहीं है, लेकिन यह लाइलाज नहीं है. सही समय पर इसके बारे में पता चलने पर इसका इलाज संभव है. स्तन कैंसर तथा उसके इलाज को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल अक्टूबर महीने को 'स्तन कैंसर जागरूकता माह' के रूप में मनाया जाता है.
क्या है स्तन कैंसर
स्तन कैंसर की शुरुआत तब होती है, जब स्तन में कोशिकाओं का विकास असाधारण रूप से होने लगता है. ये कोशिकाएं बाद में ट्यूमर के रूप में विकसित हो जाती है, जिन्हें गांठ के रूप में महसूस भी किया जा सकता है. स्तन में हर गांठ कैंसर नहीं होती, लेकिन इसकी जांच करवाना बेहद जरूरी है, ताकि आगे चलकर कैंसर का रूप ना ले. पहली स्टेज में ही अगर इस रोग की पहचान हो जाती है, तो इसे जड़ से खत्म किया जा सकता है.
ब्रेस्ट कैंसर की 4 स्टेज होती है. अगर कैंसर पहली स्टेज यानी शुरुआती अवस्था में है, तो मरीज के ठीक होने की उम्मीद 80 फीसदी तक होती है. दूसरी स्टेज में 60 से 70 फीसदी तक ठीक होने की संभावना रहती है. कैंसर के तीसरे या चौथे स्टेज में इलाज थोड़ा कठिन हो जाता है. स्तन कैंसर के सबसे ज्यादा आम प्रकार इस प्रकार है.
- डक्टल कार्सिनोमा इन सीटू (डीसीआईएस)
- इन्वेसिव डक्टल कार्सिनोमा
- इनवेसिव लॉबुलर कार्सिनोमा
इनके अलावा इंफ्लेमेटरी स्तन कैंसर, ट्रिपल निगेटिव स्तन कैंसर तथा निप्पल के पेजेट रोग भी स्तन कैंसर की श्रेणी में आते है, लेकिन इनके पीड़ितों की संख्या अपेक्षाक्रत कम होती है.