अत्यंत जटिल और जानलेवा माना जाने वाला म्यूकरमायकोसिस यानी ब्लैक फंगस संक्रमण यूं तो शरीर के सभी अंगों को प्रभावित करता है, लेकिन आँखों पर इसका असर ज्यादा नजर आता है। समय रहते यदि संक्रमण के लक्षणों पर ध्यान न दिया जाए तो रोगी को आँखों से जुड़ी कई समस्याएं हो सकती है।यहाँ तक की उनकी आँखों की रोशनी भी जा सकती है। आँखों पर इस संक्रमण के असर को लेकर ईटीवी भारत सुखीभवा की टीम ने “ दिया पीड़ियाट्रिक आई केयर” की निदेशक तथा रेनबो चिल्ड्रन अस्पताल हैदराबाद की नेत्र रोग विशेषज्ञ तथा न्यूरो ऑपथेलमोलोजिस्ट डॉ सुषमा रेड्डी काटुकुरी से बात की।
क्या है म्यूकर मायकोसिस और कैसे फैलता है
डॉ सुषमा बताती है की म्यूकरमायकोसिस फैलाने वाले जीवाणु (फफूंद यानी फंगस) हमारे वातावरण में मौजूद रहते है। जो हवा, प्रदूषण, मिट्टी, खाद, पौधे और दूषित फलों या सब्जियों से फैलते हैं तथा ऐसे लोग जिनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है उन्हें यह अपना शिकार बनाता है । यह जीवाणु पहले हमारे साइनस में प्रवेश करते हैं जिसेके उपरांत वे आँखों को प्रभावित करते हैं। यह संक्रमण होने पर सबसे पहले लोगों को बंद नाक, नाक बहना और नाक से काले ता भूरे रंग का कफ निकालना, चेहरे में दर्द, सूजन व सुन्नता होना, सिर में दर्द, दांतों में दर्द, उनका कमजोर होना तथा टूट जाने जैसे लक्षण नजर आते हैं।
संक्रमण के फैलने के कारण
डॉ सुषमा बताती है की जिन लोगों के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी मजबूत है उनके शरीर पर इस संक्रमण का ज्यादा असर नहीं पड़ता है। जब इस संक्रमण के वायरस कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले व्यक्ति के संपर्क में आते हैं तो यह पोषित होना शुरू हो जाते हैं और पीड़ित व्यक्ति के शरीर को तेजी से प्रभावित करने लगते हैं। म्यूकर माइकोसिस के लगातार बढ़ रहे मामलों के लिए कुछ जिम्मेदार कारकों को जिम्मेदार माना जाता है।
- कोविड-19 संक्रमण के इलाज के दौरान लंबे समय तक तथा ज्यादा मात्रा में स्टेरॉयड के उपयोग के परिणाम स्वरूप शरीर में रक्त शर्करा का स्तर अनियंत्रित होने पर ।
- कोरोना के चलते शरीर में प्रतिरक्षा दमन उत्पन्न होने की स्थिति में ।
- शरीर में इम्यूनिटी बढ़ाने वाली दवाइयां जैसे तौसिलीजुमेब तथा इटोलिजूमैब के जरूरत से ज्यादा सेवन से ।
- कोरोना के मरीजों द्वारा अनावश्यक रूप से एंटीबायोटिक का इस्तेमाल करने से।
- कोरोना के इलाज के दौरान दूषित ऑक्सीजन का इस्तेमाल या ह्यूमिडिफायर में पानी का इस्तेमाल करने से।
- लंबे समय तक अस्वच्छ मास्क का इस्तेमाल करने से ।
- इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन का ज्यादा मात्रा में इस्तेमाल करने से ।
- जरूरत से ज्यादा जिंक सप्लीमेंट का सेवन करने से।
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संक्रमण होने के कारण
कोरोना संक्रमण के दौरान कोमोरबिडिटी या अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं ( एड्स, अनियंत्रित मधुमेह, कैंसर जैसे लिम्पहोमास, किडनी फेल हो जाना, ऑर्गन ट्रांसप्लांट होना तथा क्रायोसिस ऊर्जा में कमी जैसी समस्यायों) के कारण गंभीर हुई परिस्थितिया तथा डेफर ऑक्सीमाइन थेरेपी म्यूकरमायकोसिस का कारण बन सकती है। चूंकि 17 साल से कम उम्र के बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत मानी जाती है इसलिए आमतौर पर इस उम्र के बच्चों में इस संक्रमण का प्रभाव कम देखने में आता है।