बाइपोलर डिसऑर्डर एक कॉम्प्लेक्स साइक्लिक डिसऑर्डर है, जिसमें रोगी का मन लगातार कई महीनों या हफ्तों तक या तो बहुत उदास रहता है या फिर बहुत ज्यादा उत्साहित रहता है. इस रोग में व्यक्ति में अचानक और अकारण मूड स्विंग होते रहते है. मनोचिकित्सक बताते है की इस समस्या से ग्रसित व्यक्ति चाहकर भी अपने व्यवहार पर नियंत्रण नहीं रख पाता है. बाइपोलर डिसऑर्डर के बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. वीणा कृष्णन बताती है समस्या गंभीर होने पर बाइपोलर डिसऑर्डर से ग्रसित व्यक्तियों में आत्महत्या जैसी प्रवत्ति उत्पन्न होने का भी खतरा बढ़ जाता है.
बाइपोलर डिसऑर्डर
डॉ. वीणा कृष्णन बताती है की बाइपोलर डिसऑर्डर एक मूड डिसऑर्डर है, जिसे उन्माद और हाइपोमेनिया के रूप में भी समझा जा सकता है. इस मनोविकार में व्यक्ति का मूड बार-बार बदल सकता है, मूड बदलने की अवधि कभी कुछ दिनों की हो सकती है, तो कभी महीनों की. कभी वह ऊर्जा से भरा महसूस कर सकता है, तो कभी लगातार बिना थकान महसूस किए दिन और रात काम करता या सोचता रहता है. और कभी अकारण गहन अवसाद का शिकार हो जाता है. इस अवस्था में बदलाव हाइपोमेनिक भी हो सकते है. यदि समय पर इस मनोविकार के बारे में पता चल जाए, तो व्यक्ति के व्यवहार को विभिन्न थेरेपी तथा दवाइयों की मदद से नियंत्रित किया जा सकता है, लेकिन यदि समस्या बढ़ जाए, तो व्यक्ति आत्महत्या या अन्य तरीकों से स्वयं को हानी पहुंचाने का प्रयास कर सकता है.
बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षण
आमतौर पर इस डिसऑर्डर के लक्षण समस्या ज्यादा बिगड़ने तक सामान्य ही रहते है. किसी भी प्रकार के व्यवहार की अति के अलावा बाइपोलर डिसऑर्डर के अन्य लक्षण इस प्रकार है;
- नींद ना आना
- तनाव, क्रोध, डिप्रेशन और थकान होना
- व्यवहार में चिड़चिड़ा होना
- सोचने में परेशानी होना तथा भूलने की बीमारी होना
- किसी भी काम में इच्छा की कमी
- दूसरों से बात करने में परेशानी होना
- ऊर्जा की कमी या काम में मन ना लगना
- हमेशा अपने ख्यालों में खोये रहना
- विचारों पर काबू ना कर पाना
- नशीले पदार्थों की लत
- खरीदारी जैसी आदतों पर नियंत्रण ना कर पाना और बेकार की चीजों पर बहुत पैसा खर्च करना
- खाना ना खाना या बहुत कम बात चीत करना
- अकारण और अचानक दुखी होना
- इस तरह के विचारों पर व्यक्ति का कोई नियंत्रण ना रहना
- कोई भी बात को बार-बार बोलना, जल्दी-जल्दी बोलना या लगातार दोहराते रहना
- स्वयं को नुकसान पहुंचाने वाले काम करना, जैसे कि काटना, जलाना या किसी दवाई का ओवरडोज कर लेना
- आत्महत्या जैसे विचार बार-बार आना
- बैचैनी भरा या लापरवाह व्यवहार, जैसे कि असुरक्षित यौन संबंध और लापरवाह ड्राइविंग
- अकेले में डरना
- लोगों के साथ होते हुए भी अकेलेपन महसूस होना
बाइपोलर डिसऑर्डर के कारण