मेडिकल जर्नल 'नेचर' में प्रकाशित हुए एक अध्धयन में सामने आया है कि ऐसी आहार प्रणाली जिसमें उपवास और कैलोरी प्रतिबंध वाले आहार शामिल हों, वे पशुओं को आंतों के ट्यूमर से बचाने में सक्षम हैं. इस शोध के दौरान चूहों पर नैदानिक परीक्षण किया गया था जिसमें सामने आया कि कम कार्ब वाले आहार से उत्पादित होने वाला एक वैकल्पिक-ऊर्जा अणु बीटा-हाइड्रॉक्सीब्यूटाइरेट (बीएचबी), आंतों में ट्यूमर के विकास को दबा देता है.
गौरतलब है कि इस शोध में शोधकर्ताओं ने यह जांचने का प्रयास किया कि कैसे कम कार्ब वाली आहार प्रणाली विशेषकर कीटो डाइट, कोलोरेक्टल ट्यूमर के विकास को कम कर सकती हैं. गौरतलब है कि कोलोरेक्टल कैंसर (सीआरसी) संयुक्त राज्य अमेरिका में तीसरा सबसे आम कैंसर है.
क्या है 'बीएचबी' मोलीक्यूल
इस शोध में ट्यूमर के विकास में विभिन्न प्रकार के आहारों के प्रभावों के बारे में ज्यादा जानने व समझने के लिए शोधकर्ताओं को चूहों पर अध्धयन किया था. 'बीएचबी' मोलीक्यूल के बारे में शोध में बताया गया कि यह मोलीक्यूल भूखे रखने या केटोजेनिक डाइट के चलते यकृत में उत्पादित होता है. जो विकास गति को धीमा करने वाले रिसेप्टर एचसीएआर2, जोकि व्यक्ति के बॉउल की परत में पाया जाता है. उनको सक्रिय करके कोलोरेक्टल कैंसर के बढ़ने की गति को रोकता है. यह रिसेप्टर आंत के भीतर कोशिका वृद्धि को रोकने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.
कैसे हुआ शोध
इस शोध में शोधकर्ताओं ने पहले आहार संबंधी उन डाएटरी इंटरवेंशन को जानने का प्रयास किया जो आंतों के ट्यूमर के विकास को प्रभावित करते हैं. जिसके लिए शोधकर्ताओं ने अलग-अलग वसा व कार्बोहाइड्रेट के अनुपात वाले छह प्रकार के आहार तैयार किए. इनमें 90% वसा व कार्बोहाइड्रेट अनुपात वाले दो ऐसे किटोजेनिक आहार भी शामिल थे जिनके स्रोत पौधे तथा पशु थे. चूहों को इन आहारों को देने की शुरुआत करने के बाद शोधकर्ताओं ने मानक रासायनिक प्रक्रियाओं के माध्यम से चूहों में सीआरसी इंडयूस किया. जिसके उपरांत उन पर डाइट के असर का निरीक्षण किया गया.
निष्कर्ष
शोध में पाया गया कि जिन चूहों के आहार में वसा-कार्बोहाइड्रेट अनुपात में वृद्धि हुई थी उनमें ट्यूमर की संख्या और उसका आकार दोनों कम हुए थे. शोध में सीआरसी पीड़ित कुछ चूहों को भी शामिल किया गया था. परीक्षण के दौरान ऐसे चूहे जिन्हें कीटो आहार दिया गया था वे अधिक समय तक जीवित रहे. कीटो डाइट ने सीआरसी पीड़ित चूहों के आनुवंशिक मॉडल में भी ट्यूमर के विकास पर रोक लगा दी थी. हालांकि कीटो डाइट को बंद करने पर उनका ट्यूमर फिर से बढ़ गया था. यह परिस्थिति उन चूहों में भी नजर आई जिनके ट्यूमर के आकार पहले कीटो डाइट के कारण कम हो गया था. परीक्षण के बाद शोध के निष्कर्ष में शोधकर्ताओं ने बताया कि कीटो आहार सीआरसी की रोकथाम और उपचार मॉडल दोनों में कोलोरेक्टल ट्यूमर के विकास को संभावित रूप से दबा देता है.