दुनिया भर में चावल की कई किस्में पाई जाती है, जिनमें से कुछ भूरे, लाल, काले और सफेद होते हैं. इनके रंगों, आकार, स्वास्थ्य पर असर भी पड़ता है. दुनिया के आधे से ज्यादा देशों विशेषकर एशियाई देशों में चावल भोजन में प्रमुखता से परोसा जाता है. हमारे भारत देश में भी चाहे कोई भी राज्य हो, भोजन की थाली बगैर चावल के पूरी नहीं मानी जाती है. लेकिन क्या आप जानते हैं की चावल लाल, काले, और भूरे रंग के भी होते है ? चावलों की अलग-अलग प्रजातियों और उनके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर को लेकर ईटीवी भारत सुखी भवः आपके साथ सांझा कर रहा है ये विशेष लेख-
सफेद चावल
हमारे देश हर प्रांत में चावल खाने की थाली का सबसे जरूरी हिस्सा है, और रोचक बात यह है की हर प्रांत में चावल की अलग अलग किस्मों को पसंद किया जाता है. भारत में ज्यादातर सफेद चावल ही खाया जाता है. हालांकि सफेद चावलों को स्वास्थ्य के लिए ज्यादा पौष्टिक नहीं माना जाता है, क्योंकि उन्हें सफेद बनाने तथा चमकाने के लिए उन पर पॉलिश की जाती है. इस प्रक्रिया में चावल के उपर से एल्यूरन परत पूरी तरह से हट जाती है. जिससे चावल में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले विटामिन बी, कार्बोहाइड्रेट तथा फाइबर जैसे पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं. साथ ही इससे चावल में ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी बढ़ जाता है जो ब्लड शुगर लेवल को प्रभावित करता है. माना जाता है सफेद चावल वजन तो बढ़ाता ही है, बल्कि इससे हाई ब्लड शुगर और डायबिटीज का खतरा भी बढ़ जाता है.
सफेद चावल की कुछ प्रचलित किस्में इस प्रकार है-
- अर्बोरिओ राइस
मुख्यतः इटली में पाई जाने वाले अर्बोरियो राइस भारत में भी काफी पसंद किए जाते है. इसमें विटामिन ए, सी और प्रोटीन भरपूर होता है जो आपके शुगर लेवल को कंट्रोल में रखता है.
- जैसमीन राइस
थाइलैंड में मिलने वाला जैस्मीन चावल अपने अरोमा यानि सुगंध के लिए प्रसिद्ध है. जैस्मीन चावल सफेद तथा भूरे दोनों किस्मों में मिलते है. स्वास्थ्य की दृष्टि से देखा जाए तो सफेद जैस्मीन चावल ज्यादा फायदेमंद नहीं होते है लेकिन ब्राउन जैसमीन राइस चोकर तथा फाइबर से भरपूर होते हैं.
- बासमती राइस
बासमती चावल भारतीयों में सबसे ज्यादा प्रचलित है. ये उच्च श्रेणी के चावल माने जाते हैं और बेहद खुशबूदार होते है. विशेषकर बिरयानी तथा पुलाव के लिए बासमती चावल ही उपयों में लाया जाता है. बासमती चावलों में फैट कम होता है तथा अमिनो एसिड और मैग्नीशियम ज्यादा मात्र में पाया जाता है जो टाइप-2 डायबिटीज से बचाव करता है.