किसी भी स्त्री के लिए मां बनना जीवन का सबसे बड़ा तथा सुखद बदलाव कहलाता है. ऐसा बदलाव जो उसे न सिर्फ भावनात्मक रूप से बल्कि कुछ हद तक शारीरिक व मानसिक रूप से भी बदल देता है. एक बच्चे का जन्म यूं तो न सिर्फ माता बल्कि पिता के जीवन में भी काफी परिवर्तन लाता है बल्कि यह माता के जीवन को अपेक्षाकृत ज्यादा प्रभावित करता है. बता दें, गर्भावस्था के दौरान मां के शरीर में होने वाले परिवर्तन इस अवस्था में होने वाली समस्याएं, फिर जन्म के उपरांत स्तनपान कराने तथा उसकी देखभाल के दौरान शरीर में होने वाले हार्मोनल व अन्य परिवर्तन ऐसे कारक हैं जो महिला के जीवन को काफी ज्यादा प्रभावित करते हैं.
एक बच्चे का जन्म महिला के जीवन में बहुत सारे उतार-चढ़ाव और बदलाव लेकर आता है इसलिए जरूरी है गर्भधारण से पहले गर्भावस्थाके दौरान तथा बच्चे के जन्म के उपरांत होने वाले बदलावों को लेकर मां मानसिक और भावनात्मक तौर पर तैयार हो. विशषज्ञों की मानें तो यदि कोई महिला मां बनने जा रही है तो उसके लिए कुछ खास बातों को ध्यान में रखना लाभकारी होता है. जिनमें से कुछ इस प्रकार है.
भावनात्मकतौरपररहें मजबूत
महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. विजयलक्ष्मी बताती हैं कि गर्भधारणसे लेकर बच्चे के जन्म तो के नौ महीने के समय में मां के शरीर में बहुत से बदलाव आते हैं. इसके साथ ही गर्भवती महिला का खानपान, उसका रहन-सहन भी नियंत्रित तथा संयमित हो जाता है. विशेषतौर पर जैसे-जैसे महिला का शरीर बढ़ने लगता हैं तो उसे कार्य करने में, चलने,उठने, बैठने में, यहाँ तक की लेटने तक में परेशानी का सामना करना पड़ता है. यह कहना गलत नही होगा कि गर्भावस्था तेज भागती दौड़ती जिंदगी पर लगाम लगा देती है. वहीं शरीर में होने वाले ये बदलाव कई बार महिला में कुंठा भर देते है. इसके साथ ही इस दौर में होने वाली समस्याएं तथा शरीर में हार्मोनल बदलाव उसे उदास, गुस्सैल या चिड़चिड़ा भी बना सकते हैं. इसलिए बहुत जरूरी है कि मां बनने के लिए तैयारी करने के साथ ही महिला अपने आप को उन सभी बदलावों के लिए भी तैयार करने का प्रयास करें, जिससे यह दौर वह शांत मन और प्रसन्नता से बीता सके.
रूटीन करें निर्धारित
सिर्फ गर्भावस्था के दौरान ही नहीं, बच्चे के जन्म के उपरांत कुछ सालों तक बच्चे को दूध पिलाने सहित उसे नहलाने, उसका ध्यान रखने की ज्यादातर जिम्मेदारियां मां पर ही होती हैं, वहीं यदि माता कामकाजी है तो उसकी भागदौड़ और भी ज्यादा बढ़ जाती है. इसलिए बहुत जरूरी है कि अपनी जिम्मेदारियों और कार्यों के आधार पर वह अपनी प्राथमिकताएं तथा दिनचर्या तय करे. साथ ही बच्चे के जन्म के उपरांत उसके रूटीन के आधार पर अपने दैनिक कार्यों को पूरा करने के लिए समय निर्धारित करे, लेकिन साथ ही बहुत जरूरी है कि इन सब के बीच माता अपने आराम के लिए भी समय निकले, जो न सिर्फ उसके बल्कि बच्चे के स्वास्थ्य के लिए भी बहुत जरूरी होता है.