स्तनपान मां और शिशु दोनों के लिए वरदान है. यह न सिर्फ माता और शिशु के बीच के भावनात्मक संबंध को मजबूत करता है, बल्कि शिशु में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने तथा उसके शारीरिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. श्री बीआरकेआर सरकारी आयुर्वेदिक महाविद्यालय के प्रधानाचार्य तथा बीएएमएस व एमडी आयुर्वेद डॉ. श्रीकांत बाबू पेरेगू ने ETV भारत सुखीभवा की टीम को आयुर्वेद में स्तनपान को लेकर दिए गए प्रावधानों के बारे में जानकारी दी.
रस धातू की श्रेणी में आता है मां का दूध
डॉ. श्रीकांत बताते हैं कि आयुर्वेद में शरीर का निर्माण करने वाले तत्वों में धातुओं का विशेष स्थान माना गया है. इन धातुओं का निर्माण पांचों तत्वों से मिलकर ही होता है. इनमें माता के दूध को रस धातू की श्रेणी में रखा जाता है. जोकि शरीर के विकास और उसके संचालन के लिए जरूरी मानी जाती है. एक स्वस्थ मां जो उत्तम और पौष्टिक भोजन ग्रहण करती है. उसके शरीर में दूध का निर्माण भी ज्यादा मात्रा में होता है. वहीं शारीरिक रूप से अस्वस्थ मांओं के साथ आमतौर पर देखने में आता है कि उनका शरीर पर्याप्त मात्रा में दूध का निर्माण नहीं कर पाता है. इस पर यदि माता को किसी तरह की गंभीर बीमारी हो या फिर वह स्तनों या हार्मोन संबंधी किसी बीमारी का शिकार हो चुकी हो, ऐसे में उसके शरीर में बनने वाले दूध में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.
डॉ. श्रीकांत बताते हैं कि आयुर्वेद में मां के दूध को दो भागों में बांटा गया है. जिसमें पहला उत्तम गुणवत्ता का दूध तथा दूसरा संक्रमित दूध या माता के स्तनों से निकलने वाला दूध जैसा द्रव्य. वे बताते हैं कि शुद्ध दूध तथा संक्रमिक दूध रूपी द्रव्य को पहचानना मुश्किल नहीं है. यदि मां के शरीर के निकलने वाला दूध रूपी द्रव्य गाढ़ा, चिपचिपा और दुर्गंध युक्त होता हैं, तो इसका मतलब वह संक्रमित है. इस अवस्था में मां का दूध बहुत ही हल्का होता है. यह पानी में घुलनशील, गंध मुक्त, सामान्य सफेद तथा हल्की मिठास लिए होता है.
डॉ. श्रीकांत बताते हैं कि आयुर्वेद में बच्चे के जन्म के उपरान्त माता के शरीर में बनने वाले दूध की मात्रा के अनुरूप उसे भी दो वर्गों में वर्गीकृत किया गया है. पहली स्तन्य वृद्धि लक्षण, जिसमें ऐसी माताएं आती हैं, जो बिलकुल स्वस्थ है, लेकिन जिनके स्तनों से आवश्यकता से अधिक मात्रा में दूध का निर्माण होता है. ऐसी अवस्था में कई बार माता के शरीर से लगातार दूध का स्त्राव होता रहता है.