आमतौर पर लोगों को लगता है शरीर में पानी की कमी की समस्या सिर्फ गर्मियों के मौसम में होती है. जो सही नही है. मौसम चाहे गर्मी का हो या सर्दी का, सभी लोगों के लिए प्रतिदिन जरूरी मात्रा में पानी या तरल पदार्थों का सेवन बेहद जरूरी होता है. क्योंकि शरीर में पानी की कमी किसी भी मौसम में हो सकती है तथा कई बार शरीर में कुछ गंभीर समस्याओं व अवस्थाओं का कारण भी बन सकती है. जानकारों व चिकित्सकों सभी का कहना है तथा कई शोधों में भी इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि शरीर में पानी की कमी होना या डिहाइड्रेशन होना ना सिर्फ कुछ रोगों के होने की आशंका को बढ़ा सकता है बल्कि यह कई बार आम तथा गंभीर, दोनों प्रकार के रोगों की जटिलता को भी बढ़ा सकता है. Winter dehydration problems
कुछ समय पूर्व मेडिकल जर्नल “लैंसेंट” में प्रकाशित एक रिसर्च में इस बात का उल्लेख किया गया था कि जो लोग अपने हाइड्रेशन को दुरुस्त नहीं रखते हैं यानी पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पीते हैं उनमें समय से पहले मृत्यु का खतरा अधिक रहता है. इस रिसर्च रिपोर्ट में बताया गया था कि कम पानी पीने से शरीर में सोडियम का स्तर बढ़ने का खतरा बढ़ जाता हैं. और यदि शरीर में सोडियम का स्तर 145 मिली प्रति लीटर से ज्यादा हो जाए तो इससे समय से पहले मौत होने का जोखिम 21 % तक प्रतिशत तक बढ़ जाता है. वहीं इसके चलते पीड़ित के कई प्रकार की क्रोनिक बीमारियों के चपेट में आने की आशंका भी बढ़ जाती है.
सर्दियों के मौसम में होने वाला डिहाइड्रेशन गर्मियों जैसा
इससे पूर्व न्यू हैम्पशायर यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन में भी बताया गया था कि ठंड के महीनों में भी निर्जलीकरण यानी शरीर में पानी की कमी की समस्या हो सकती है और सर्दियों के मौसम में होने वाला डिहाइड्रेशन भी शरीर पर वैसा ही प्रभाव दिखाता है जैसा गर्मी या किसी भी मौसम में यह समस्या होने पर दिखता है.इसके अलावा जनरल ऑफ क्लीनिकल मेडिसिन के वेबपेज पर उपलब्ध न्युट्रिशनल मैनेजमेंट एण्ड आउटकम्स इन मैल नरिश्ड मेडिकल इन्पेशेंट के एक लेख में भी शरीर में पानी की कमी के चलते होने वाले नुकसानों के बारें में विस्तार से जानकारी दी गई है. यह शोध विशेष रूप से शरीर में डिहाइड्रेशन से बचाव के तरीकों तथा हाइड्रेशन मैनेजमेंट पर आधारित था तथा इस रिपोर्ट को स्विट्जरलैंड के कुछ अस्पतालों के प्रतिनिधियों तथा शोधकर्ताओं द्वारा तैयार किया गया था. इन शोध रिपोर्ट तथा शरीर में पानी की कमी चलते होने वाले नुकसान को लेकर देश विदेश में प्रकाशित हो चुकी कई अन्य रिपोर्ट में भी इस बात को माना गया है कि मौसम चाहे जो भी हो, पानी की कमी शरीर पर कई प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष असर डालती है जो कभी कभी जीवन पर भारी भी पड़ सकते हैं.
बेहद जरूरी है शरीर का हाइड्रेट रहना
दरअसल मानव शरीर में दो तिहाई हिस्सा ( लिंग तथा आयु के आधार पर लगभग 60% से 70%) पानी होता है. इनमें से मस्तिष्क में लगभग 85%, हड्डियों में लगभग 22%, त्वचा में 20%, मांसपेशियों में लगभग 75%, रक्त में लगभग 80%, तथा फेफड़ों में लगभग 80% पानी होता है. ये सभी अंग स्वस्थ रहे, इनका विकास सही तरह से हो तथा इनसे जुड़ी सभी क्रियाएं सही तरह से संचालित होती रहे इसके लिए बहुत जरूरी है कि शरीर में जरूरी मात्रा में पानी मौजूद हो. यदि हमारे शरीर में पानी की कमी ना हो तो शरीर का मेटाबॉलिज़्म तो सही रहता ही है जिससे पाचन सहित कई तरह की समस्याओं व रोगों से बचाव होता है. इसके अलावा शरीर में पोषक तत्वों का अवशोषण सही तरह से हो पाता है, जिससे शरीर कि रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है. मल-मूत्र सम्बधी व रक्त संबंधी समस्याओं से बचाव हो सकता है.
इसके अलावा शरीर में ऑक्सीजन का प्रसार सही तरह से होता है, शरीर का तापमान नियंत्रित रहता है, हड्डियां स्वस्थ रहती हैं, शरीर में जरूरी रसायनों व हार्मोन्स के निर्माण में समस्या नहीं आती है तथा उनकी मात्रा संतुलित रहती है. इनके अतिरिक्त शरीर के सभी अंगों का स्वास्थ्य भी बना रहता है. इसलिए स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, मौसम चाहे जो भी हो , सभी लोगों को रोजाना 3-4 लीटर पानी पीते रहने की आवश्यकता होती है.
क्या कहते हैं चिकित्सक
Dr Rajesh Sharma General Physician बताते हैं कि मौसम के अनुसार हमारी खाने-पीने की आदतें बदलने रहती हैं. जैसे गर्मियों के मौसम में प्यास ज्यादा लगती है तो लोगों के आहार में तरल पदार्थों तथा ऐसे खाध्य पदार्थों जिनमें पानी की मात्रा ज्यादा होती है, की मात्रा बढ़ जाती है. लेकिन सर्दियों में आमतौर पर लोगों को ज्यादा प्यास नहीं लगती है. नतीजतन ज्यादातर लोग सर्दियों के मौसम में भोजन तो गरिष्ठ करना पसंद करते हैं लेकिन उनके आहार में पानी के साथ ही जूस, शरबत, छाछ, लस्सी आदि तरल पदार्थों की मात्रा भी कम हो जाती है.