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अभिव्यक्ति में असमर्थ होते हैं ऑटिस्टिक लोग - ऑटिस्टिक बच्चों का खानपान

ऑटिज्म एक असामान्य व्यवहारिक समस्या है, जिसमें पीड़ित चाहे वो बच्चा हो या फिर बड़ा आत्मकेंद्रित रह जाता है. वह दूसरों से बात करने या सामाजिक रूप से दूसरों के साथ घुलने मिलने में असमर्थ होता है. इसके अलावा भी कई और व्यवहार से संबंधित परेशानियां है, जिनका उन्हें सामना करना पड़ता है. लेकिन इन सब समस्याओं के बावजूद ऑटिस्टिक बच्चों में एकाग्रचित्तता और बेहतर याद्दाश्त जैसे गुण भी देखने में आते है.

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ऑटिज्म

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Published : Sep 7, 2020, 12:59 PM IST

Updated : Sep 8, 2020, 11:54 AM IST

10 साल की नीमा दूसरे बच्चों से बहुत अलग व्यवहार करती थी. दूसरे बच्चों, यहां तक की अपने माता-पिता और छोटे भाई के साथ भी वह बात करने से कतराती थी. हमेशा चुप रहना, अपने आप में व्यस्त रहना, अपनी जरूरतों को जाहिर ना कर पाना और कई बार अचानक से बहुत ज्यादा गुस्सा हो जाना, नीमा का व्यवहार सामान्य नहीं था. इसलिए चिंतित होकर उसके पिता विनोद ने अपने एक चिकित्सक दोस्त से बात की, तो उन्होंने नीमा को मनोचिकित्सक से सलाह लेने की बात कही. जहां पता चला की नीमा को ऑटिज्म था.

क्या है ऑटिज्म और क्यों इससे प्रभावित व्यक्ति या बच्चों का व्यवहार दूसरों से अलग होता है. इस बारे में ETV भारत सुखीभवा की टीम ने मनोचिकित्सीय सलाहकार डॉ. वीणा कृष्णन से बातचीत की.

ऑटिज्म के लक्षण

क्या है ऑटिज्म और उसके लक्षण

डॉ. कृष्णन बताती हैं कि ऑटिज्म एक ऐसी अवस्था है, जहां व्यक्ति को दूसरों से बात करने या किसी अन्य माध्यम से अभिव्यक्त करने में समस्या होती है. वे सामाजिक रूप से दूसरों के साथ सामान्य लोगों की भांति घुल मिल नहीं पाते हैं. इसे ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर के रूप में भी जाना जाता है. क्योंकि ऑटिज्म के लक्षण हर पीड़ित में अलग-अलग हो सकते है. ऑटिज्म को एक न्यूरो व्यवहार स्थिति के रूप में भी परिभाषित किया गया है, जिसके अनुसार यह भावनाओं और समझ को दूसरों के सामने प्रकट करने में मस्तिष्क की अक्षमता के कारण होने वाला एक व्यवहार विकार है.

आटिज्म होने का कोई एक कारण नहीं है. यह आनुवांशिक, जेनेटिक या जन्म से पूर्व माता के गर्भ में या जन्म के बाद, बच्चे के मस्तिष्क में किसी कारणवश होने वाले विकार के चलते हो सकता है. हर व्यक्ति में इसके कारण अलग होते है. ऑटिस्टिक व्यक्ति शोर से, किसी के छूने से, किसी विशेष गंध से, रंगों से या किसी स्वाद से परेशानी महसूस करते है और तीखी प्रतिक्रिया दे सकते है. इसके अलावा उनके सामाजिक व्यवहार में भी कुछ विशेष पैटर्न नजर आते है.

  • ऑटिस्टिक लोग किसी भी दूसरे व्यक्ति के साथ आंखों के संपर्क से बचते हैं.
  • ऐसे बच्चे देर से बोलना शुरू करते हैं.
  • एकांत में रहना पसंद करते हैं.
  • उन्हें दूसरों को समझने तथा उनके साथ व्यवहार में कठिनाई आती है.
  • बच्चे या बड़े नाम पुकारे जाने पर प्रतिक्रिया नहीं देते हैं.
  • दूसरे बच्चों के साथ खेलने या उनके साथ किसी भी तरह का संपर्क रखने में असुविधाजनक महसूस करते हैं.
  • किसी एक व्यवहार को बार-बार दोहरते हैं.

अच्छे विद्यार्थी होते है ऑटिस्टिक बच्चे

भले ही ऑटिस्टिक बच्चे अपने आप को दूसरों के सामने व्यक्त नहीं कर पाते है, लेकिन वह एक अच्छे विद्यार्थी हो सकते है. डॉ. कृष्णन बताती है की ऐसे बच्चों की याद्दाश्त काफी अच्छी हो सकती है, इसके अलावा उनमें एकाग्रचित्तता का गुण भी होता है. जिससे वह चीजों को कम समय में और बेहतर तरीके से समझ पाते है. ऑटिस्टिक बच्चों में अनुशासन का गुण भी आमतौर पर देखने को मिलता है.

ऑटिज्म का इलाज

डॉ. कृष्णन बताती है की बालपन में यदि ऑटिज्म की जांच हो जाए, तो पीड़ित की स्तिथि को बेहतर करने में सरलता होती है. हालांकि ऑटिज्म का पूर्णतया इलाज संभव नहीं है, लेकिन फिर भी विभिन्न थेरेपी और दवाइयों के माध्यम से ऑटिस्टिक बच्चों की स्तिथि को बेहतर बनाया जा सकता है. जिससे वे थोड़े ज्यादा आत्मनिर्भर बने और दूसरों के सामने खुद को व्यक्त कर सके.

  1. स्पीच थेरेपी :इस थेरेपी में ऐसी मनोवैज्ञानिक तकनीकें शामिल की जाती हैं, जो ऑटिस्टिक बच्चों की बातचीत करने की क्षमता में सुधार कर सके.
  2. ऑक्यूपेशनल थेरेपी :इस थेरेपी में बच्चों को दूसरों के साथ किसी भी माध्यम से संवाद करने तथा खुद को व्यक्त करने सीखाने की कोशिश की जाती है. इसके अलावा चित्रों, इशारों और लेखन के माध्यम से भी अपने विचारों को व्यक्त करने के लिए भी तरीके सिखाएं जाते हैं.

एप्लाइड व्यवहार विश्लेषण

इस चिकित्सा में ऑटिस्टिक व्यक्तियों के व्यवहार का विश्लेषण किया जाता है, वे किस बात पर चिढ़ते है या उन्हें किस बात से परेशानी होती है या गुस्सा आता है. इस जांच के बाद उनको विपरीत परिस्थितियों में खुद को कैसे नियंत्रित रखा जा सकता है, उस बात का प्रशिक्षण दिया जाता है.

कैसा हो खानपान

ऑटिस्टिक लोगों विशेषकर बच्चों के लिए एक विशेष डायट को अपनाने की सलाह दी जाती है. कुछ जानकारों द्वारा चीनी और तेल और डेयर उत्पादों जैसे दूध, दही का कम से कम उपयोग करने या बिल्कुल भी उपयोग ना करने की सलाह दी जाती है. इसके अलावा ग्लूटेन फ्री डाइट की सिफारिश भी की जाती है.

Last Updated : Sep 8, 2020, 11:54 AM IST

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