कई बार जब बहुत दिनों तक बादल छाए रहें और जब भी आप घर से बाहर निकलने की सोचें और तुरंत बारिश शुरू हो जाये तो, एक अलग तरह की उदासी और चिढ़ व्यक्ति महसूस करने लगता है। सिर्फ यही नहीं ,लगातार बारिश होने पर पूरे दिन सुस्ती और आलस भी महसूस होने लगता है और हम सोचने लगते हैं की काश थोड़ी देर के लिए ही सही धूप निकल जाए। यह सोच कई लोगों में आम है, लेकिन मौसम का प्रभाव किसी व्यक्ति के मूड को हद से ज्यादा नकारात्मक रूप से प्रभावित करने लगे तो वह अवसाद का एक प्रकार बन जाता है।
व्यवहार को प्रभावित कर सकता है मौसम
यह सत्य है की मौसम का बदलना ज्यादातर लोगों के मिजाज को प्रभावित करता है। कुछ लोगों में सूरज की रोशनी से दमकती सुबह ऊर्जा, उत्साह और खुशी लाती है, वहीं बादलों से घूटा हुआ आसमान या गरज वाला मौसम उनमें चिढ़चिढ़ाहट भर देता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ (एन.आई.एम.एच) के अनुसार, "बहुत से लोग कुछ समय अंतराल के लिए अकारण व्यवहार में उदासी महसूस करने लगते हैं। मौसम के संधिकाल यानी मौसम के बदलने पर यह अवस्था कई लोगों में सामान्य रूप से देखने में आती है। सिर्फ मानसून के मौसम में ही नहीं, सर्दियों की शुरुआत में भी जब पतझड़ होता है और दिन छोटे होने लगते हैं, कई लोगों में इस तरह की उदासी देखने में आती है। जिसे "विंटर ब्लूज़" के नाम से जाना जाता है।
कुछ मामलों में, ये मूड परिवर्तन अधिक गंभीर हो सकते हैं और लोगों के व्यवहार के साथ उसकी सोच और दैनिक गतिविधियों को प्रभावित करने लगते हैं। यदि किसी व्यक्ति के व्यवहार में मौसम या उसके बदलने का असर उदासी तथा अन्य रूपों में ज्यादा नजर आने लगे तो वह “मौसमी भावात्मक विकार (एस.ए.डी)” से पीड़ित हो सकता है, जो की एक प्रकार की अवसादकी स्तिथि है।
मौसमी भावात्मक विकार (एस.ए.डी)
एक अध्ययन के अनुसार, 9% लोग बारिश को पसंद ना करने वालों की श्रेणी में आते हैं। ऐसे लोग बरसात के दिनों में गुस्सा, चिड़चिड़ापन और कम खुशी महसूस करते हैं।
चूंकि एस.ए.डी एक प्रकार का अवसाद है, इसलिए इसके लक्षण ज्यादातर अवसाद के लक्षणों के समान ही होते हैं। एन.आई.एम.एच के अनुसार अलग-अलग मौसमों के एस.ए.डी के संकेत और लक्षणों में कुछ भिन्नता भी नजर आ सकती है।