आयुर्वेद में मधुमेह के लिए असंतुलित जीवन शैली जैसे अनुचित आहार-विहार, व्यायाम न करना, शारीरिक श्रम कम करना, अत्यधिक तनाव आदि कारणों को जिम्मेदार माना जाता है। आयुर्वेद से जुड़े शस्त्रों में बताया गया है की इस सभी कारणों के चलते व्यक्ति के वात, पित्त और कफ असन्तुलित हो जाते है और मधुमेह रोग को जन्म देते है। वैसे तो मधुमेह में तीनो दोषों में असंतुलन देखा जाता है परन्तु मुख्यत कफ दोष के प्रभाव को इसका मूल कारण माना जाता है । इसके अलावा मधुमेह को कुलज विकारों यानी आनुवंशिक विकार भी माना जाता है । आयुर्वेद मधुमेह के बारें में ज्यादा जानकारी लेनें के लिए ETV भारत सुखीभवा ने हैदराबाद के वरिष्ठ आयुर्वेदिक चिकित्सक डा पी वी रंगनायकूलु से बात की तथा मधुमेह के लिए कुछ सामान्य उपचारों तथा औषधियों के बारें में भी जानकारी ली, जो इस रोग को नियंत्रित रखने में मदद कर सकते है ।
मधुमेह होने के क्या है कारण?
हमारे शरीर के पाचनतंत्र का प्रमुख अंग माने जाने वाले अग्नाश्य यानी पैनक्रियास में विभिन्न हार्मोन्स का निर्माण तथा स्राव होता है। इनमें मुख्य है इन्सुलिन और ग्लूकॉन। इंसुलिन हमारे शरीर के लिए बहुत उपयोगी है, जो हमारे रक्त में शर्करा का निर्माण तथा उसका संचालन व उसे नियंत्रित करने का कार्य करता है।
लेकिन यदि किसी कारणवश इंसुलिन का कम निर्माण होने लगे तो कोशिकाओं की ऊर्जा कम होने के साथ ही अलग-अलग परेशानीयां होने लगती है। ऐसी अवस्था में आमतौर पर व्यक्ति को बेहोशी आने तथा दिल की धड़कन तेज होने जैसी समस्याएं महसूस होने लगती है। इंसुलिन के कम निर्माण के कारण रक्त में शर्करा अधिक हो जाती है जो मूत्र के जरिए शरीर से बाहर निकलती है। इसी कारण डायबिटीज के मरीज को बार-बार पेशाब आती है।
मधुमेग के लिए विभिन्न कारकों को जिम्मेदार माना जाता है। जिनमें से कुछ निम्न हैं ।
अनुवांशिकता : यदि परिवार के किसी सदस्य माँ-बाप, भाई-बहन में से किसी को है तो डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है।