किडनी संबंधी रोगों की जटिलताओं और रोगों के संबंध में दुनिया भर में जनजागरूकता फैलाने के उद्देश्य से वर्ष 2006 में इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी और इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ किडनी फाउंडेशन ने मिलकर 66 देशों में इस आयोजन की शुरुआत की थी। इस वर्ष यह विशेष दिवस 'किडनी रोग के साथ अच्छी तरह से रहना है' थीम पर आयोजित किया जा रहा है। विश्व किडनी दिवस का उद्देश्य दुनिया में गुर्दे की बीमारियों के बढ़ते प्रसार को रोकना और उसकी व्यापकता को कम करना है।
किडनी की खराबी से होने वाले रोग और उनके कारण
आमतौर पर अस्वस्थ जीवन शैली और असंयमित खानपान के चलते लोगों में किडनी की समस्या होती है। इसके अलावा हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, आनुवंशिकता और दर्द निवारक दवाइयों के अधिक मात्रा में सेवन से भी किडनी को नुकसान पहुंचता है। हृदय रोग के बाद भी किडनी से संबंधित बीमारियां लोगों में देखने में आती है। ज्यादातर लोग किडनी में खराबी के शुरुआती लक्षणों को कभी जानकारी, तो कभी लापरवाही के चलते नजरअंदाज कर देते हैं और जब इस समस्या का पता चलता है तो 65 से 70 फीसदी किडनी डैमेज हो चुकी होती है। किडनी में खराबी से होने वाले कुछ मुख्य रोग इस प्रकार है;
- पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज
पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज यानी किडनी का फेल होना। इसमें किडनी में गांठ बनने लगती है, और धीरे-धीरे किडनी काम करना बंद कर देती है। यह समस्या ज्यादा मात्रा में अल्कोहल और सिगरेट के सेवन से हो सकती है। जिन लोगों को डायबिटीज या हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है, उनकी किडनी फेल होने की आशंका ज्यादा होती है।
पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज के लक्षण
- सिर दर्द
- पेशाब के साथ ब्लड आना
- हाथ, पैर और आंखों पर सूजन
- सांस फूलना और भूख ना लगना
- पाचन संबंधी गड़बड़ी
- खून की कमी से त्वचा की रंगत का पीला पड़ना
- कमजोरी और थकान होना
रोग से बचाव
- इसके लिए डॉक्टर आरआरटी यानी रिनल रिप्लेसमेंट थेरेपी देते हैं।
- किडनी के एक बार खराब हो जाने पर डॉक्टर ट्रांसप्लांट की सलाह देते हैं।
- ट्रांसप्लांट नहीं हो पाने की अवस्था में डायलिसिस किया जाता है।
- अगर मरीज स्टेज 4 पर पहुंच गया है, लेकिन खानपान और दिनचर्या का खास ख्याल रख रहा है और समय पर डायलिसिस करवा रहा है, तो सामान्य जीवन व्यतीत कर सकता है।
- यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन