आस्थमा रोगियों की सबसे बड़ी समस्या होती हैं साँस लेने में तख़लीफ़ जिसकी वजह से कई बार लोग रात में नहीं सो पते हैं । आस्थमा रोगी साँस की कमी की वजह से भारी काम नहीं कर सकते हैं जैसे वजन उठाना या दौड़ना। योग के द्वारा आप आस्थमा के रोग से राहत पा सकते हैं इन आसनों की मदद से, मगर इस बात का ख्याल रखें की ये आसन आपको किसी योगा एक्सपर्ट के देखरेख में ही करना चाहिए|
कपालभाति प्राणायाम
कैसे करें:
- अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए, आराम से बैठ जाएँ।
- हाथों को घुटनों पर रखें। हथेलियों को आकाश की तरफ होना चाहिए। एक लंबी गहरी साँस अंदर लें।
- साँस छोड़ते हुए अपने पेट को इस प्रकार से अंदर खींचे की वह रीढ़ की हड्डी को छू ले। जितना हो सके उतना ही करें।
- अब पेट की मांसपेशियों को ढीला छोड़ते हुये और अपनी नाभि और पेट को आराम देते हुए अपनी नाक से जल्दी से श्वास छोड़ें।
- शुरुआत में इस प्रक्रिया को 10 बार दोहराएं।
नाड़ी शोधन प्राणायाम
कैसे करें:
- अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए, जमीन पर आराम से बैठ जाएँ।
- इस स्थिति में श्वास की रिदम को सामान्य करने के लिये सामान्य तरीके से श्वास लें।
- अब अपने बाएं हाथ को अपने बाएं घुटने पर रखें और दायें हाथ को नासाग्र मुद्रा में लाते हुए अंगूठे से दायें नासिका छिद्र को बंद करें और अपने बाएं नथुने से गहरी सांस लें।
- अब बाएं नथुने को अपनी अनामिका और छोटी उंगली से बंद करें और अपने दायें नथुने को खोलें और साँस छोड़ें।
- फिर से अपने दाहिने नथुने से साँस छोड़ें, इसे अपने अंगूठे से बंद करें और दाईं ओर से साँस छोड़ें।
- यह प्रक्रिया को 10 बार दोहराएं।
सेतु बंधासन
कैसे करें:
- इस आसन के लिए जमीन पर पीठ के बल लेट जाएं|
- इसके बाद हाथों को बगल में रख लें| अब धीरे-धीरे अपने पैरों को घुटनों से मोड़कर कमर के पास ले आएं|
- अब धीरे-धीरे सांस लेते हुए जितना हो सके कमर को उतना ऊपर की तरफ उठाएं| इस अवस्था में एक या दो मिनट तक सांस रोक कर रुके रहें|
- इसके पश्चात धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए वापस पहले वाली अवस्था में यानि जमीन पर आ जाएं|
- इस प्रक्रिया को 5 से 10 बार तक दोहराएं|
अधोमुख शवासन
कैसे करें:
- अपने हाथों और पैरों पर बैठते हुए शरीर को एक मेज़ जैसी स्थिति में ले आयें।
- अब साँस छोड़ते हुए और अपने घुटने और कोहनी को सीधा करते हुए कमर को ऊपर उठाएं और अपने शरीर से उल्टे वी (अंग्रेजी के अक्षर) का आकार बनाएं।
- ध्यान रहे की हाथ व कंधो के बीच जितनी दूरी हो, पैर व कमर के बीच की दूरी भी उतनी ही होनी चाहिए।
- अपने हाथ को जमीन में दबाएं और अपनी गर्दन को सीधा करें। आपके कानों को आपके हाथों को छूना चाहिए, अपनी दृष्टि को अपनी नाभि पर टिकाएं और श्वास लें।
- अब श्वास छोड़ते हुए घुटने को मोड़ें और वापस मेज़ वाली स्थिति में आ जाएँ।