नई दिल्ली: महिलाओं को आज भले ही अधिकतर क्षेत्र में पुरुषों के बराबर दर्जा देने के दावे किए जा रहे हों, लेकिन असली हकीकत ये है कि देश की राजधानी में उनमें सेनेटरी पैड के इस्तेमाल को लेकर जागरूकता नहीं है जिसकी वजह से कई गंभीर बीमारियों से ग्रसित होना पड़ता है.
बॉलीवुड एक्टर अक्षय कुमार ने महिलाओं में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से फिल्म पैडमैन बनाई, लेकिन अब भी सेनेटरी पैड के उपयोग को लेकर क्लस्टर इलाकों में रहने वाली महिलाओं के लिए काफी कुछ करने की जरूरत है. इन दिनों मानव धर्म सर्वोच्च ट्रस्ट अलग-अलग क्लस्टर में महिलाओं के ऊपर ये सर्वे कर रही है. इस दौरान ये बात सामने आई कि यहां रहने वाली 90 फीसदी महिलाएं सेनेटरी पैड के इस्तेमाल नहीं कर कोई भी कपड़ा इस्तेमाल करती हैं जिसकी वजह से कई महिलाओं को संक्रमण के कारण अलग -अलग बीमारियों से ग्रस्त होने की बात भी सामने आई.
महिलाओं को किया जा रहा है जागरूक ऐसा ही सर्वे विकासपुरी के शंकर गार्डन क्लस्टर में किया गया और इसके बाद यहां पैड वितरण किए गए. साथ ही इन महिलाओं को इसकी जरूरतों के बारे में भी बताया गया ताकि वे सावधान रहें और संक्रमण से बची रहें. क्लस्टर में रहने वाली महिलाओं को घर-घर जाकर या फिर एक जगह ही बुलाकर सेनिटरी पैड वितरित किए गए और बताया गया कि इसके इस्तेमाल में बरती जाने वाली लापरवाही जानलेवा भी हो सकती है.
संस्था से जुड़े पदाधिकारियों का कहना है कि अभी तो इन्हें संस्था पैड बांटे जा रहे हैं, लेकिन साथ ही इन्हें साफ कपड़े से अच्छे पैड बनाने की ट्रेनिंग भी जल्द दी जाएगी ताकि ये अपने इस्तेमाल के लिए पैड बनाने के साथ साथ इसी काम को रोजगार के तौर पर भी करें.
सेनिटरी पैड को लेकर दिल्ली ही नहीं दूसरे राज्यों के छोटे शहर और गांव में भी जागरूकता अभियान लगातार चलाया जा रहा है, लेकिन हालात जिस तेजी से बदलने चाहिए उस तरह से बदलाव नहीं दिख रहा है. ऐसे में संस्थाओं की तरफ से ऐसी महिलाओं को जागरूक कर रोजगार परक ट्रेनिंग देना एक बेहतर पहल है जिसमें समाज के और लोगों को भी आगे आकर मदद करनी चाहिए.
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