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वर्ल्ड डिसेबल डे पर भारती कॉलेज में दिव्यांग बच्चों के ओलंपिक का हुआ आयोजन

दिल्ली के जनकपुरी स्थित भारती कॉलेज में वर्ल्ड डिसेबल डे पर विशेष ओलंपिक का आयोजन किया गया. इस ओलंपिक में भाग लेने वाले दिव्यांग बच्चों ने कई खेलों में अपनी अद्भुत क्षमता का प्रदर्शन किया.

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Published : Dec 10, 2022, 10:56 PM IST

नई दिल्ली:वर्ल्ड डिसेबल डे (world disabled day) पर वेस्ट दिल्ली के जनकपुरी स्थित भारती कॉलेज में एक विशेष ओलंपिक का आयोजन किया गया है. इसमें भाग लेने वाले दिल्ली एनसीआर के लगभग डेढ़ हजार से अधिक दिव्यांग बच्चों ने हिस्सा लिया, जिन्होंने दौड़, ऊंची कूद, सॉफ्ट बॉल, ड्रॉइंग, शॉट पुट थ्रो, ट्रैक ऑफ वार जैसे दर्जनभर खेलों में अपनी अद्भुत क्षमता का प्रदर्शन किया. कहने के लिए भले ही शरीर के अलग-अलग हिस्से से ये बच्चे दिव्यांग हो, लेकिन खेल में उनके जुनून और जज्बे को देखकर हर कोई तालियां बजाकर इनके उत्साह को बढ़ाने के लिए मजबूर हो गया.

आशीर्वाद संस्था इनके शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ाने के उद्देश्य से ही ओलंपिक का आयोजन प्रतिवर्ष कराती है. इस कार्यक्रम में अतिथि के तौर पर दिल्ली सरकार के प्रिंसिपल सेक्रेटरी अश्वनी कुमार के साथ-साथ इस्कॉन के गोपाल कृष्ण गोस्वामी और कई अन्य गणमान्य लोग ने भाग लिया.

इस मौके पर प्रिंसिपल सेक्रेट्री अश्वनी कुमार ने जहां इस तरह के आयोजन कर्ता के प्रयासों को खूब सराहा. वहीं उन्होंने कहा, यह बच्चे ईश्वर का रूप हैं और इनमें जो सच्चाई होती है वह किसी और में नहीं होती. उन्होंने कहा कि सरकार भी इन बच्चों के मनोबल को बढ़ाने के साथ-साथ इनके मानसिक और शारीरिक विकास को और सुदृढ़ करने के लिए लगातार प्रयासरत है. उन्होंने कहा कि पहले अधिक सुविधा नहीं थी, लेकिन अब इस तरह के बच्चे बोझ नहीं हैं, बल्कि बहुत ही प्रतिभावान हैं. ऐसे कार्यक्रम में हर एक व्यक्ति को जोड़ना चाहिए ताकि उनके प्रयासों से यह खास बच्चे समाज में और भी बेहतर कार्य कर सकें.

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इस कार्यक्रम के आयोजक और ऐसे ही स्पेशल स्कूल चलाने वाले डॉक्टर रमेश चंद्र शुक्ला जो इस कार्यक्रम को पिछले एक दशक से कराते आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि ये स्पेशल बच्चे भी सामान्य बच्चों की तरह ही समाज के अभिन्न अंग है. इन्हें भी हर क्षेत्र में बराबर का मौका मिलना चाहिए और इन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए ऐसे प्रयास लगातार किए जाने जरूरी है. क्योंकि ऐसे बच्चों से समाज भेदभाव ना करें. उन्हें स्वीकारना बेहद जरूरी बात है. उन्होंने सरकार से मांग की कि सरकार इन बच्चों के लिए बड़े होने के बाद इस इनके हुनर के आधार पर रोजगार की उपलब्धता के लिए भी प्रयास करें तो इन बच्चों के पुनर्वास में काफी सहायक होगा.

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