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पुलिस की आंख में मिर्ची झोंककर फरार हुए गैंगस्टर का साथी गिरफ्तार, बस कंडक्टर से बना अपराधी - हिंदी खबर

संदीप ढिल्लू नाम के बदमाश को अपहरण मामले में उम्रकैद की सजा दी गई थी, लेकिन वो पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया था. पुलिस ने उसके 2 साथियों को गिरफ्तार कर लिया है, जो हत्या के मामले में पहले से ही वांछित थे.

दोनों आरोपी गिरफ्तार

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Published : May 16, 2019, 5:55 PM IST

Updated : May 16, 2019, 11:13 PM IST

नई दिल्ली:मौलाना आजाद अस्पताल से पुलिस की आंखों में मिर्ची झोंककर फरार हुए संदीप ढिल्लू के दो साथियों को स्पेशल सेल की टीम ने गिरफ्तार कर लिया है. हरियाणा के दारुहेड़ा में हुई हत्या के मामले में दोनों वांछित चल रहे थे. आरोपियों की पहचान संदीप अहलावत और वरुण के रूप में की गई है.

इनके पास से एक सेमी ऑटोमेटिक पिस्तौल, एक कट्टा और सात कारतूस बरामद किए गए हैं. अपहरण के मामले में अदालत ने संदीप ढिल्लू को उम्रकैद की सजा सुनाई थी.

पुलिस को दिया था चकमा

डीसीपी संजीव यादव के अनुसार 19 फरवरी 2018 को मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में मंडोली जेल से उपचार कराने आया संदीप ढिल्लू पुलिस हिरासत से फरार हो गया था. संदीप की तलाश कर रही स्पेशल सेल की टीम ने मई 2018 में उसे भगाने वाले गौरव शर्मा उर्फ गोलू को गिरफ्तार कर लिया था.

छानबीन के दौरान स्पेशल सेल को पता चला कि बिंदापुर निवासी संदीप अहलावत और उसका रिश्तेदार वरुण लगातार संदीप ढिल्लू के संपर्क में हैं. दोनों ने अक्टूबर 2018 में दारुहेड़ा इलाके में हत्या को अंजाम दिया था. ये भी पता चला कि वो विरोधी गैंग के सदस्यों की हत्या के लिए साजिश रच रहे हैं.

नजफगढ़-ढांसा रोड से हुए गिरफ्तार

13 मई को स्पेशल सेल को सूचना मिली कि संदीप और वरुण अपने साथी से मिलने के लिए नजफगढ़-ढांसा रोड के पास आएंगे. इस जानकारी पर इंस्पेक्टर तिलक चंद बिष्ट की देखरेख में एसआई मनेंद्र सिंह और गौतम मलिक की टीम ने जाल बिछाकर कार सवार दोनों बदमाशों को गिरफ्तार कर लिया. तलाशी में इनके पास से हथियार बरामद किये गए. इस बाबत स्पेशल सेल ने आर्म्स एक्ट का मामला दर्ज किया.

ब्लू लाइन बस के कंडक्टर से बना अपराधी

आरोपी संदीप अहलावत ने पुलिस को बताया कि वो ब्लू लाइन बस में कंडक्टर था. वर्ष 1998 में सीतापुरी निवासी विजयपाल ने उसे इसाहेरी गांव के बदमाशों से मिलवाया. वर्ष 2001 में उसे अपहरण के मामले में पुलिस ने गिरफ्तार किया था. वर्ष 2004 में जमानत मिलने के बाद वो प्रॉपर्टी डीलरों के साथ काम करने लगा. वर्ष 2009 में उसे अदालत ने अपहरण के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई, लेकिन वो कोर्ट से भाग निकला. उसने हरियाणा के किरथल गैंग से हाथ मिलाकर कई आपराधिक वारदातों को अंजाम दिया. फिलहाल बीते पांच महीने से वो जयपुर में छिपकर रह रहा था.

बाउंसर का काम छोड़ पकड़ा अपराध का रास्ता

आरोपी वरुण संदीप अहलावत का रिश्तेदार है और पहले दिल्ली के क्लब में बाउंसर था. उसके पिता सेना से सेवानिवृत्त हैं. वरुण को वर्ष 2009 में पहली बार बिंदापुर पुलिस ने गिरफ्तार किया था. फिलहाल वो भी बीते पांच माह से जयपुर में रह रहा था. उसके खिलाफ भी कई आपराधिक मामले दर्ज हैं.

Last Updated : May 16, 2019, 11:13 PM IST

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