दिल्ली

delhi

ETV Bharat / state

मांगों को लेकर इंडियन फेडरेशन ऑफ ट्रेड यूनियन ने जताया विरोध, कहा- कानून बनने के बाद भी नहीं मिलती मजदूरों को तय वेतनमान - दिल्ली सरकार

Indian Federation of Trade Union: दिल्ली के अलग-अलग इंडस्ट्रियल इलाके में सरकार द्वारा तय वेतनमान श्रमिकों की कैटेगरी के हिसाब से नहीं मिलने के कारण मजदूर परेशान है. मजदूरों के इसी लड़ाई को इंडियन फेडरेशन ऑफ ट्रेड यूनियन ने अब पूरी दिल्ली में चलाने की घोषणा की है.

इंडियन फेडरेशन ऑफ ट्रेड यूनियन का विरोधt
इंडियन फेडरेशन ऑफ ट्रेड यूनियन का विरोध

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Nov 25, 2023, 4:30 PM IST

इंडियन फेडरेशन ऑफ ट्रेड यूनियन का विरोध

नई दिल्ली:दिल्ली सरकार दिल्ली के इंडस्ट्रियल इलाके में मजदूरों की बेहतरी के लिए वेतनमान में बढ़ोतरी करती है. बावजूद उसके इन इंडस्ट्री में काम करने वाले अधिकतर मजदूरों को सरकार द्वारा तय वेतनमान नहीं दिया जा रहा है. ये आरोप मजदूर यूनियन, इंडियन फेडरेशन ऑफ ट्रेड यूनियन ने लगाया है.

इंडियन फेडरेशन का ट्रेड यूनियन के जनरल सेक्रेटरी राजेश का कहना है कि दिल्ली की अलग-अलग इंडस्ट्री में काम करने वाले हजारों मजदूरों में केवल पांच फीसदी मजदूरों को वेतनमान के हिसाब से वेतन दिया जाता है. बाकी मजदूर को इंडस्ट्री और कंपनी मालिक अपने हिसाब से वेतन देता है. इतना ही नहीं, उनका यह भी कहना है कि कोरोना के बाद से इंडस्ट्रीज में गिरावट का बहाना बनाकर इंडस्ट्री मालिक 3 साल से मजदूरों को बोनस नहीं दे रहे हैं.

इंडियन फेडरेशन ऑफ ट्रेड यूनियन ( IFTU ) ने दिल्ली के नारायण कीर्ति नगर नरेला सहित तमाम इंडस्ट्रियल इलाके में अभियान चलाने का फैसला लिया है. इसके तहत B ब्लॉक माया पुरी फेस 1, इंडस्ट्रियल एरिया में मजदूरों के बीच पर्चे बांटे गए. पर्चे में स्लोगन है, कोरोना का बहाना नहीं चलेगा, हर मजदूर को बोनस भुगतान करो. न्यूनतम वेतन हैल्पर 17494 रुपये, अर्धकुशल 19279 रुपये, कुशल 21215 रुपये सख्ती से लागू करो. श्रम कानूनों को लागू करो. चारों लेबर कोड रद्द करो. बहरहाल, इन्ही मांग को लेकर मजदूर यूनियन दिल्ली के इंडस्ट्रियल एरिया में अभियान चला रही है.

ट्रेड यूनियन का कहना है कि इस आंदोलन को दिल्ली के तमाम इंडस्ट्रियल इलाके में चलाने की योजना है. इसके तहत मजदूरों को संगठित होकर अपने हक की लड़ाई लड़कर अपने अधिकार को प्राप्त करना है. सरकार तो अपनी तरफ से वेतनमान बनाने की घोषणा कर देती है. मजदूरों का रहनुमा बनने का प्रयास करती है, लेकिन धरातल पर यह लागू नहीं होता है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details