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भीख मांगने वाले बच्चों को डीएम और एमडीएम ने सिनेमा हॉल में दिखाई फिल्म, मुख्यधारा में लाने का किया प्रयास - दिल्ली की ताजा खबरें

सड़क पर भीख मांगने वाले बच्चों को समाज की मुख्यधारा में लाने के प्रयास के अंतर्गत दिल्ली के वेस्ट जिले के डीएम प्रिंस धवन और रजौरी गार्डन एसडीएम आशीष कुमार के सहयोग से सिनेमा हॉल में फिल्म दिखाई गई. जिला प्रशासन द्वारा लगातार ऐसे प्रयास किए जा रहे हैं.

DM and MDM showed film to begging children
DM and MDM showed film to begging children

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Published : May 7, 2023, 1:49 PM IST

बच्चों को सिनेमा हॉल में दिखाई गई फिल्म

नई दिल्ली: दिल्ली के किसी भी इलाके में चौक चौराहे पर निकल जाए तो वहां छोट बच्चे भीख मांगते अमूमन नजर आ जाते हैं ऐसे ही बच्चों को समाज की मुख्यधारा में जोड़ने के लिए डीसीपीसीआर (दिल्ली कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स) और वेस्ट जिला प्रशासन द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. इसी के तहत वेस्ट जिले के डीएम प्रिंस धवन और रजौरी गार्डन एसडीएम आशीष कुमार के सहयोग से ऐसे बच्चों को राजौरी गार्डन के सिनेमा हॉल में फिल्म दिखाई गई.

कार्यक्रम का आयोजन सीआईएसएस यानी 'चिल्ड्रन इन स्ट्रीट सिचुएशन प्रोग्राम' के तहत पिछले साल दिसंबर 2022 से किया जा रहा है, ताकि इन बच्चों को समाज की मुख्यधारा में जोड़कर उन्हें रेडलाईट्स या अन्य जगहों पर भीख मांगने से रोका जाए. दरअसल यह सीआईएसएस प्रोजेक्ट, डीसीपीसीआर और डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट द्वारा की जाने वाली एक पहल है. साथ ही ऐसे बच्चों के लिए पुनर्वास को लेकर भी कई तरह के प्रोजेक्ट शुरू किए जाने की योजना है.

ऐसे कार्यक्रम का मकसद, इन बच्चों की पहचान कर इन्हें चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के समक्ष लाना, उनके अधिकारों के लिए समुचित प्रयास हो साथ ही उनके आधार कार्ड बनावाना, इन्हें स्कूल और आंगनवाड़ी में भर्ती कराना सहित अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ दिलवाना है. वेस्ट डीएम ऑफिस से मिली जानकारी के अनुसार, इस योजना की शुरुआत के बाद से लगभग ऐसे 900 स्ट्रीट चाइल्ड्स की न सिर्फ पहचान की जा चुकी है बल्कि उन्हें पूरी तरह से पुनर्वासित भी किया जा चुका है.

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इस योजना का उद्देश्य वेस्ट दिल्ली के इलाकों के साथ, दिल्ली के दूसरे इलाकों में भी ऐसे बच्चों की पहचान कर उनके पुनर्वास का प्रयास किया जाना है, जिससे कि किसी भी जिले में बच्चे इस तरह से सड़कों पर अपना जीवन बर्बाद न करें. जिला प्रशासन के साथ सरकार का प्रयास है कि ऐसे बच्चों की पहचान कर उन्हें शिक्षित करने की दिशा में भी उपयुक्त कदम उठाया जाएं.

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