नई दिल्ली: दीपावली दीपों का त्योहार है. पिछले कुछ सालों में मिट्टी से बनने वाले दिए को लेकर लोगों में दिलचस्पी बढ़ी जरूर, लेकिन दिए बनाने वालों की कमाई पर इसका कुछ खास असर नहीं पड़ा. लेकिन इस बार दीये बनाने वाले कारीगरों का कहना है कि इस बार तो कारोबार दोगुनी रफ्तार पकड़ चुकी है और दीये की मांग इतनी की पूरी नहीं कर पा रहे हैं.
उत्तम नगर की कुम्हार कॉलोनी में रहने वाले प्रजापति समाज के लोगों का पांच दशक से भी अधिक समय से मिट्टी के दिये और अन्य सामान बनाने का काम है. लेकिन इतने सालों में पहली बार इस कारोबार से जुड़े लोग बेहद खुश हैं. इस खुशी की दो वजह है, एक दीये की रिकॉर्डतोड़ ऑर्डर और दूसरा पिछले साल के मुकाबले दीये के दामों में दोगुना उछाल.
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दीये बनाने वालों का कहना है कि इसबार मिट्टी के दीयों की इतनी डिमांड है कि उन्हें खाने की भी फुरसत नहीं है. इनकी व्यस्तता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ग्राहकों के ऑर्डर पूरा करने के दबाव में वे अपने बच्चों को भी दीये बनाने का काम सीखा रहे हैं, जो दीये बनाने में अपने परिवार की मदद कर रहे हैं. इनकी मानें तो इस बार दिल्ली के अलावा यूपी, हरियाणा, जयपुर, मुम्बई, कोलकाता, बेंगलुरु सहित कुछ और राज्यों से भी दीये के ऑर्डर आ रहे हैं. हालांकि दिल्ली से अलग दूसरे राज्यों से पहले भी ऑर्डर आते थे लेकिन इतना नहीं, और तो और कई दीये बनाने वाले तो कई ग्राहकों को मना करने पर मजबूर हैं. इनका कहना है कि जो ऑर्डर पहले से मिले हैं ये उसे ही पूरा कर पाने में असमर्थ हो रहे हैं. इसकी वजह है बेमौसम बरसात, इस बरसात के कारण एक तो मिट्टी की शॉर्टेज हो गयी और जो माल बनाया उनमें से काफी भीग गया. मौसम खराब होने के कारण एक तो नए दीये बन नहीं सके और जो बने हुए थे उनको सुखाने में समस्या हुई.