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तिलक नगर में लजीज व्यंजनों के ऐसे ठिए, जहां आप बार-बार आने को होंगे मजबूर - delicious dishes in Tilak Nagar

पश्चिमी दिल्ली के बाजारों में कई ऐसी दुकाने हैं जहां के लजीज खाने का स्वाद चखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. आपको बताते हैं कुछ ऐसी ही दुकानों के बारे में जो अपने जायकों के लिए दिल्ली-एनसीआर में मशहूर हैं.

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Published : May 5, 2023, 7:45 PM IST

दिल्ली अपने लजीज खाने के लिए दुनिया भर में मशहूर.

नई दिल्ली: वैसे तो दिल्ली अपने लजीज खाने के लिए दुनिया भर में मशहूर है. सेंट्रल दिल्ली से पुरानी दिल्ली तक कई ऐसे इलाके हैं, जो अपने जायकों के लिए विख्यात हैं, मगर, पश्चिमी दिल्ली के बाजार भी पीछे नहीं हैं. यहां कई ऐसी दुकानें और ठिए हैं, जहां एक बार कुछ खा लिया, तो बार बार आने को मन करता है. तिलक नगर के मेन मार्केट में ऐसी ही एक दुकान है, वेज जायका. यहां दूर-दूर से लजीज व्यंजनों के शौकीन आते हैं. यहां आपको खास तौर पर कचौड़ी, छोले-भटूरे, पनीर के ब्रेड पकौड़े, 5 फ्लेवर वाले पानी के साथ मिलने वाले गोल-गप्पे किसी को अभी अपना दीवाना बना सकते हैं. इसके अलावा आपको मिलाते हैं, ऐसे समोसे वाले से जो रोज़ सुबह 3 बजे अपनी दुकान खोलते हैं.

पचरंगा, पुरानी मार्किट तिलक नगर
तिलक नगर की पुरानी मार्केट में डाक घर वाली गली के बाहर एक पचरंगा नाम की चाट और गोल गप्पे की दुकान है. इसकी खासियत यह है कि यहां गोलगप्पों के साथ 5 फ्लेवर का पानी मिलता है. आटे और सूजी के गोलगप्पों में उबले आलू और छोले डाल कर ग्राहकों को परोसा जाता है. दुकान के मालिक ने बताया कि वह तीन पीढ़ी से काम कर रहे हैं. तिलक नगर से पहले दुकान अम्बाला में थी. आज भी ऐसे बहुत से ग्राहक हैं जो अगर अम्बाला से दिल्ली आए हैं, तो तिलक नगर जरूर आते हैं. और यहां के गोल-गप्पे का स्वाद लेकर जाते हैं. यहां के पांच फ्लेवर के पानी में एक मीठा पानी है, इसके अलावा यहां जीरा काली मिर्च पानी, पुदीना खट्टा पानी, पुदीना मीठा पानी और हींग पानी मिलता है, जो आपके हाज़मे को ठीक करता है.

मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर 2, तिलक नगर

अब बात करते हैं एक ऐसे दुकानदार की जो आधी रात में दुकान सजाते हैं. दिल्ली में ऐसी बहुत सी दुकानें हैं, जो आधी रात में भी लोगों को लजीज व्यंजन परोसती हैं. तिलक नगर मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर 2 के बाएं तरफ फुटपाथ के पास तीन दुकानें हैं जो आधी रात के बाद खुलती है और दिन निकलते ही बंद हो जाती हैं. यहां के एक दुकानदार ने बताया कि वह यहां पर 30 साल से दुकान लगाते हैं. यह जगह रात तीन बजे के बाद गुलजार होती है, जब सभी अखबारों के वेंडर यहां अपनी-अपनी गाड़ियां लेकर पहुंचते हैं. पहले चाय समोसा खाते हैं, फिर अपने-अपने काम में लग जाते हैं.

न्यू राज कचौड़ी भंडार, शिवाजी मार्केट तिलक नगर

यहां की मार्केट में पनीर ब्रेड पकौड़े तो ज्यादा चाव से खाए जाते हैं. खस्ता कचौड़ियों की भी 2 वैरायटी मौजूद हैं, बड़ी और छोटी. उड़द दाल की स्टफिंग की बड़ी कचौड़ी फूली हुई है जबकि छोटी पापड़ी की तरह पतली. दोनों ही कचौड़ी के साथ आलू की सब्जी परोसी जाती है. एक अरसे से पुरानी दिल्ली की आजाद मार्केट में ब्रेड पकौड़े और खस्ता कचौड़ियां खिलाकर वाहवाही बटोरने वाले दुकान के मालिक संदीप राठौर तिलक नगर में छाए हुए हैं. गर्म-फ्राई जायकों का सिलसिला सप्ताह के सातों दिन बिना देरी किये रोज सुबह 7 से रात 10 बजे तक जारी रहता है. आप तिलक नगर मेट्रो स्टेशन के साथ शिवाजी मार्केट में अग्रवाल स्वीट कॉर्नर से 8-10 दुकानों के बाद न्यू राज कचौड़ी भंडार पर आकर लुत्फ उठा सकते हैं.

दुकान पर काम करने वाले रमेश ने बताया कि वह 20 साल से इस दुकान पर काम कर रहे हैं. उनका मानना है कि यह दुकान इसलिए इतनी फेमस है क्योंकि यहां क्वालटी के साथ क्वांटिटी पर भी ध्यान दिया जाता है. कहा कि उनकी दुकान का जायका चखने के लिए दिल्ली के अलावा NCR से भी लोग आते हैं.

मशहूर छोले-छोले-भटूरों, गुरुद्वारा रोड तिलक नगर

दिल्ली में छोले-भटूरों की बहुत सी मशहूर दुकाने हैं, लेकिन अगर आप तिलक नगर में शॉपिंग करने आए हैं तो एक बार यहां के छोले-भटूरे खा कर ज़रूर देखिएगा. यह मेन मार्किट से गुरुद्वारा जाने वाली सड़क की शुरुआत में है. पिछले 50 साल से अपने खास ज़ायके से लोगों को मोहती है ये दुकान. यहां ऐसे शौकीनों का आना जाना बरकरार है, जो कभी अपने पिता के साथ आया करते थे. ऐसे ही एक ग्राहक मिले, जो अपनी 21 साल से बेटी की साथ पहुंचे. उन्होंने बताया कि जितना उनको याद है, उस ज़माने में मात्र 1 रुपये में एक प्लेट छोले-भटूरे मिलते थे. अब एक प्लेट छोले-भटूरे 50 रुपए में मिलते हैं.

दाम को देख कर ऐसा लगता हैं कि मानो हर साल एक रुपये बढ़ाए गए हैं. पर ऐसा बिलकुल नहीं है. दुकान पर काम करने वाले शिव कुमार ने बताया कि दुकान रोज सुबह 8 बजे से रात 9 बजे तक खुलती है. छोले-भटूरों के शौकीन लोगों का दिन भर यहां आना-जाना लगा रहता है. संडे को भी सुबह से ही भीड़ जुटनी शुरू हो जाती है.

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