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कूलर व्यापारियों ने मांगी दुकान खोलने की परमिशन, हो रहा है लाखों का नुकसान - delhi lockdown cooler business effects

व्यापारियों का कहना है कि कूलर बेचने का काम सिर्फ गर्मी के सीजन के लिए ही होता है. माल की बिक्री अप्रैल से शुरू हो जाती है. लेकिन लॉकडाउन के कारण सीजन का आखरी दौर आ चुका है. ऐसे में दुकानें खोलने की परमिशन नहीं मिली तो मजदूरों के साथ व्यापारी भी भूखे मरने की कगार पर होंगे.

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व्यापारियों ने बताई अपनी परेशानी

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Published : May 17, 2020, 1:03 PM IST

नई दिल्ली: लॉकडाउन के कारण व्यापारियों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. इन्हीं में कूलर कारोबारी को भी लॉकडाउन से खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है. इसी के कारण उन्होंने सरकार से कारोबार में छूट की उम्मीद जताई है. इसी कड़ी में नॉर्थ दिल्ली के मशहूर होल सेल कूलर मार्केट इंद्रलोक के कूलर व्यापारियों ने सरकार से मदद की मांग की है.

व्यापारियों ने बताई अपनी परेशानी

भखे मरने की कगार पर है व्यापारी

व्यापारियों का कहना है कि कूलर बेचने का काम सिर्फ गर्मी के सीजन के लिए ही होता है. माल की बिक्री अप्रैल से शुरू हो जाती है. लेकिन लॉकडाउन के कारण सीजन का आखरी दौर आ चुका है. लेकिन सामान ज्यों का त्यों पड़ा है. ऐसे में दुकानें खोलने की परमिशन नहीं मिली तो मजदूरों के साथ व्यापारी भी भूखे मरने की कगार पर होंगे.

भर रहे हैं बंद पड़ी दुकानों का किराया

गर्मी से राहत देने वाला कूलर का बाजार बंद होने से लोग बेशक परेशान है. लेकिन उनसे ज्यादा परेशानी इन दिनों उनके कारोबार करने वाले लोगों को हो रही है. जो जनवरी फरवरी में हर साल बड़े मात्रा में इस व्यापार में पैसे लगाकर गर्मियों के लिए अपने गोदाम और दुकानों में भारी मात्रा में माल भर लेते है. इस बार भी ज्यादातर कारोबारियों ने ऐसा ही किया. कई व्यापारियों ने अपने घर के गहने-कैश के साथ बाजार से कर्ज लेकर पैसा लगाया है. इसके लिये बड़े-बड़े गोदाम भी किराये पर लिए थे, लेकिन लॉकडाउन के कारण अब तक ये सिर्फ दुकानों और गोदाम के किराया भरते आ रहे है.


गोदाम में पड़ा है तैयार माल

लॉकडाउन के दौरान ये कारोबारी केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार से मांग करते आ रहे हैं कि इनका काम का सीजन कुछ दिनों का होता है. इसलिए उन्हें भी थोड़ी छूट मिलनी चाहिए, लेकिन अब इनकी आस भी टूट चुकी है. इनका कहना है कि सारा सीजन गुजर चुका है. बस चंद दिनों का आखिरी वक्त रह गया है. ऐसे में इन्हें अगर थोड़ी राहत मिल जाती है, तो दुकान का किराया और अपने मजदूरों के साथ खुद पेट भरने के लिए कुछ कर सकेंगे. इसके साथ इन दुकानदारों का ये भी कहना है कि इन्होंने अपनी दुकानों के किराये में थोड़ी बहुत राहत के लिए मकान मालिकों से गुजारिश की थी. मगर वहां से भी कोई राहत नहीं मिली. अब सरकार से उम्मीद है कि 17 मई के बाद इन्हें छूट मिले.

'लॉकडाउन 4 से हैं उम्मीदें'

इन कारोबारियों के साथ-साथ यहां काम करने वाले मजदूर और दूसरे रिक्शे, ठेले वाले भी इस आस में है कि मार्केट खुले तो कुछ ना कुछ इनके पेट भरने का सहारा मिले. बाजार बंद होने से ये लोग भी मायूस बैठे है. ऐसे अब इन्हें लॉकडाउन 4.0 में छूट मिलने की उम्मीद बाकी है.

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