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लॉकडाउन: मास्क बनाना गरीबों के लिए बना था रोजगार, अब वो काम भी हुआ ठप

राजधानी दिल्ली में लॉकडाउन के चलते जहां सभी के कामकाज ठप हैं. काम ठप होने के बाद आउटर दिल्ली के मुंडका विधानसभा के साबदा जे.जे कॉलोनी के कुछ गरीब परिवारों की ओर से आमदनी के लिए मास्क बनाया जा रहा था. लेकिन मटिरियल की महंगाई और लेबर की दिहाड़ी की कटौती के चलते अब ये काम भी ठप हो गया.

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मजदूरों का मास्क बनाने का काम भी हुआ ठप

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Published : Apr 25, 2020, 11:02 AM IST

नई दिल्ली:आउटर दिल्ली के मुंडका साबदा जे.जे कॉलोनी इलाके में लॉकडाउन के कारण लोगों को घरों में रहकर एक रोजगार मिला था. जिसमें लोग रोजाना मास्क बनाया करते थे. जिससे उन्हें थोड़ी बहुत आमदनी भी हो जाती थी और मास्क की कमी को देखते हुए दिल्ली में मास्क की पूर्ति भी हो रही थी.

मजदूरों का मास्क बनाने का काम भी हुआ ठप
महंगाई और दिहाड़ी कटौती से हुआ काम ठप

दरअसल दिल्ली में लॉकडाउन के चलते जहां सभी के कामकाज ठप हैं. वहीं कोरोना महामारी को देखते हुए संसाधनों का भी उत्पादन जरूरी है. जिसमें मास्क जैसी वस्तुएं चिकित्सा में अहम रोल अदा कर रही हैं. ऐसे में इसका उत्पादन जहां बड़ी-बड़ी कंपनियां कर रही हैं. वहीं आउटर दिल्ली के मुंडका विधानसभा के साबदा जे.जे कॉलोनी के कुछ गरीब परिवारों की ओर से भी मास्क बनाया जा रहा था. लेकिन मैटेरियल की महंगाई और लेबर की दिहाड़ी की कटौती के चलते अब ये काम भी ठप हो गया.


रोजाना बना रहे थे हजारों मास्क

इन परिवारों के मुताबिक रोजाना लगभग एक हजार के करीब मास्क हर एक परिवार बनाया करता था. जहां इन्हें प्रति मास्क 30 पैसे मिलते थे. वहीं पूरा परिवार मिलकर मेहनत करता था. तब पूरे परिवार की दिहाड़ी लगभग 300 रुपये हुआ करती थी. जहां लॉकडाउन में इन परिवारों को एक रोजगार मिला था. ऐसे में लगभग 50 परिवार इस काम में लगे हुए थे. सभी परिवारों की लगभग 100 से 300 रुपये प्रतिदिन की दिहाड़ी बन जाया करती थी. ऐसे में ये सभी परिवार लगभग 10 से 15 हजार मास्क बना लिया करते थे. लेकिन पिछले 1 हफ्ते से इन गरीबों का अब ये काम भी ठप हो गया.


बड़ी मुश्किल से होता है गुजारा

लोगों के मुताबिक साबदा जे.जे कॉलोनी में रहने वाले परिवार रोजाना मेहनत मजदूरी करके अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं. जिसमें अधिकतर महिलाएं लोगों के घरों में बर्तन धोने का काम करती हैं. पुरूष पुराने कपड़े बेचना, रेहड़ी पटरी लगाना आदि काम करते हैं. ऐसे में लॉकडाउन के चलते मास्क बनाने का काम इनके लिए घर बैठे एक रोजगार का साधन बन चुका था. इन परिवारों का कहना है कि अगर दोबारा से इस तरह का काम मिलता है, तो इसे जरूर करना चाहेंगे. जिससे इनका गुजर-बसर चल सके.

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