नई दिल्ली: दिवाली पर मिट्टी के दीयों का बड़ा महत्व होता है. मिट्टी के दीये बनाने वाले कारोबारी कड़ी मशक्कत के बाद दीये तैयार करते हैं और बाजारों में बेचते हैं. इस दिवाली सीलिंग के चलते मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हार परेशान हैं और उनके कारोबार पर भी काफी असर पड़ा है. कुम्हारों ने अपील की है कि सरकार उनकी तरफ भी ध्यान दें. ताकि वे अपनी रोजी-रोटी चला सके.
ऐसे बनते हैं मिट्टी के दीये
दीवाली दीपों का त्योहार है बिना दीयों के दिवाली अधूरी है. खास कर मिट्टी के दीये, जिन्हें जलाकर घरों में पूजा की जाती है. ऐसे में इन दीयों को एक कुम्हार बनाने में काफी मेहनत करता है. कई सारी प्रक्रियाओ के बाद ये दीये बनते हैं. मिट्टी के बर्तन और दीये बनाने के लिए चिकनी मिट्टी को कुम्हार दूरदराज के इलाकों से मंगवाते हैं. दिल्ली में बर्तन बनाने वाली मिट्टी हर जगह नहीं मिलती. जिसके बाद इस मिट्टी को पूरी तरह सूखा कर तोड़ा जाता है. पाउडर की तरह पीस कर आंटे की तहत गूंधा जाता है और अंत मे इसे चाक पर चढ़ा कर इससे बर्तन बनाए जाते हैं.