नई दिल्ली: पश्चिमी दिल्ली के भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा ने दिल्ली विधानसभा चुनावों में अपना आक्रामक रूप दिखाकर चुनावों को प्रभावित करने की कोशिश तो पूरी की थी लेकिन वह अपने इलाके में ही फेल साबित हुए हैं.
प्रवेश वर्मा की बयानबाजी का असर पड़ा उल्टा! भाजपा को इस क्षेत्र में आने वाली सभी 10 सीटों पर करारी हार का सामना करना पड़ा है. इसमें मटियाला कि वह सीट भी शामिल है जहां प्रवेश वर्मा और उनकी पत्नी ने सबसे ज्यादा प्रचार किया था. बीते दिन आए दिल्ली विधानसभा चुनाव परिणाम में पश्चिमी दिल्ली की किसी भी सीट से भारतीय जनता पार्टी को जीत हासिल नहीं हुई है. नजफगढ़ से अजित सिंह खड़खड़ी ने आम आदमी पार्टी के कैलाश गहलोत को टक्कर तो दी लेकिन वो भी अपनी जीत सुनिश्चित नहीं कर पाए.
चुनावों में अरविंद केजरीवाल और मस्जिदों पर अपने बयानों को लेकर प्रवेश वर्मा चर्चा का केंद्र रहे थे. कई बार तो चुनाव आयोग ने भी उन्हें सख्त हिदायत दी थी. राजनीतिक जानकर इसे एक विशेष रणनीति भी मान रहे थे जिसमें सांप्रदायिक आधार पर ध्रुवीकरण करने की कोशिश की जा रही थी. हालांकि आखिर में कुछ भी काम ना आया.
'दिल्ली के लोग फ्री के प्रवाह में बह गए'
भाजपा के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते हार की जिम्मेदारी ली है लेकिन सच्चाई है कि अपने गड़ से उन्होंने ही भाजपा की लाज बचाई है. उधर दूसरी तरह भाजपा की हार के बाद सांसद प्रवेश वर्मा मीडिया के सामने तो आए लेकिन उसमें भी यह कहकर कन्नी काट गए कि दिल्ली के लोग फ्री के प्रवाह में बह गए हैं.
दिल्ली विधानसभा चुनावों का अब जब भी जिक्र होगा तब प्रवेश वर्मा के आक्रामक रूप के साथ-साथ इस बात को भी याद रखा जाएगा कि दिल्ली में 8 सीट जीतने वाली भाजपा को पश्चिमी दिल्ली की एक भी सीट नसीब नहीं हुई थी.