नई दिल्ली: सालों के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार निर्भया के दोषियों को फांसी के फंदे पर लटका दिया गया. 16 दिसंबर 2012 कि वो रात जब निर्भया ने दिल्ली के मुनिरका बस स्टॉप से अपने घर जाने के लिए बस ली थी. इस घटना के बाद हर कोई सहम गया था. महिलाओं को घर से निकलने में डर लगने लगा था.
महिलाओं ने बताया अपने मन का डर देर आए दुरुस्त आएइसी बस स्टॉप से रोजाना बस लेकर अपने ऑफिस जाने वाली रीना राठौर का कहना था कि आज वो सुकून का दिन आया है. लंबे इंतजार की घड़ी खत्म हुई है और उन तमाम महिलाओं को इंसाफ मिला है, जोकि लंबे समय से इन दोषियों को फांसी पर लटकता देखना चाह रही थी. देर से ही सही लेकिन न्याय हुआ है.
उस मां को मिला इंसाफ
रीना राठौर का कहना था कि वो केवल एक केस नहीं था. बल्कि देश की उससे भावनाएं जुड़ी थी. हर एक महिला उस घटना से आहत हुई थी. आज केवल किसी एक को नहीं, बल्कि देश की सभी महिलाओं को इंसाफ मिला है. उस मां को इंसाफ मिला है, जो सालों से ये लड़ाई लड़ रही थी.
महीनों तक मुनिरका बस स्टॉप से नहीं ली थी बस
मुनिरका बस स्टॉप से रोजाना सफर करने वाली महिलाओं का कहना था कि वो कई सालों से इसी बस स्टॉप से यात्रा करती हैं. बस लेती हैं, लेकिन उस घटना के बाद उनके मन में एक बहुत बड़ा डर आ गया था.
यहां तक कि उस घटना के बाद कई महीनों तक तो महिलाओं ने इस बस स्टैंड से कोई बस ही नहीं ली थी. देर रात घर से निकलने में भी काफी डर लगता था. लेकिन उनका कहना था कि आज दोषियों को फांसी मिलने के बाद शायद कुछ बदलाव होगा. गुनहगार इस तरीके का गुनाह करने से डरेगा.