नई दिल्ली:जहां सब्जियां महंगी होने से आम लोग महंगाई के बोझ से दबने लगते हैं, तो वहीं सब्जियों के सस्ता होने से खेतों में काम कर रहे मजदूरों पर इसका असर दिखने लगता है. सब्जी के बढ़ते और घटते दामों के बीच पिस रहे आम लोग और मजदूर वर्ग दोनों ही काफी परेशान हो रहे हैं. सब्जियों के सस्ते और महंगे होने से आम आदमी और मजदूरों पर क्या फर्क पड़ता है. इसी को जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम आज दिचाऊ गांव के गोभी के खेतों में पहुंची, जहां काम कर रहे मजदूरों ने बताया कि किस तरह गोभी के सस्ते दाम उनकी मजदूरी के आगे काफी महंगी साबित हो रही है.
गोभी के सस्ते दाम के आगे महंगी साबित हो रही है मजदूरी. गोभियों के सस्ता बिकने से मिलती है कम दिहाड़ी
खेत में काम कर रहे मजदूरों ने बताया कि आज से कुछ समय पहले गोभी जहां 50 से 60 रुपये किलो बिक रही थी, वहीं अब यह गोभी 20 से 25 रुपये किलो बिक रही है. ऐसे में गोभी बेचने वाले किसानों को मंडियों में 10 से 12 रुपये किलो में ही गोभी बेच रहे हैं. "गोभियों के इतना सस्ता बिकने से किसान अपने खेतों में काम कर रहे मजदूरों को भी कम दिहाड़ी दे रहे हैं, क्योंकि किसानों का कहना है कि जब उन्हें कुछ नहीं मिलेगा तो वह मजदूरों को क्या दे पाएंगे."
300 से 350 की दिहाड़ी पर करना पड़ रहा है खेतों में काम
खेत में काम कर रहे अजय कुमार ने बताया कि वह बिहार से दिल्ली कमाने के लिए आए थे और आज वह मात्र 300 से 350 की दिहाड़ी में खेतों में काम कर रहे हैं. अगर उन्हें इतने में ही काम करना था तो वह दिल्ली क्यों आएं. उनके अनुसार इतनी महंगाई में इस कमाई से वह क्या खाएंगे और क्या बचाएंगे.
24 घंटे काम फिर भी नहीं मिलता उचित दाम
मजदूर संतोष यादव ने बताया कि वह खेतों में 24 घंटे काम करते हैं, लेकिन फिर भी उन्हें उनकी मजदूरी का उचित दाम नहीं मिलता. उन्होंने बताया कि मंडी में 10 से 12 रुपये किलो गोभी बिकने पर कितना जमींदार को बचेगा और कितना उन्हें मिलेगा.
घरों तक पहुंचते-पहुंचते महंगी हो जाती है सस्ती सब्जी
सब्जी के बढ़ते और घटते दामों से मंडियों में थोक के भाव से सब्जियां खरीदने वाले हो उन्हें आगे बेचने वाले लोग ही फायदे में हैं, क्योंकि वह लोग किसानों या जमींदारों से सस्ते में सब्जियां लेकर उसमें अपना मुनाफा जोड़कर आगे छोटे छोटे दुकानदारों को 5-5 या 10-10 किलो के हिसाब से बेचते हैं. वहीं छोटे दुकानदार अपना मुनाफा जोड़कर सब्जी को प्रति किलो के हिसाब से बेचते हैं. जिसके कारण खेत से सस्ते में दी की सब्जी लोगों के घरों तक पहुंचते-पहुंचते महंगी हो जाती है.