नई दिल्ली : दिल्ली में लग्जरी गाड़ियों की चोरी के लिए दो अलग-अलग गिरोह काम कर रहे हैं. दोनों गैंग एक दूसरे की मदद से गाड़ियों को चोरी कर फरार हो जाते हैं. पहला गिरोह गाड़ियों के ईसीएम चोरी कर दूसरे गिरोह को देता है. Electronic Control Unit यानी ईसीएम चोरी करने वाले गिरोह को पहले ही चोरी करने वाली गाड़ी का मॉडल और काम के लिए उनका हिस्सा बता दिया जाता है. दूसरा गिरोह ईसीएम मिलने के बाद उसकी मदद से डुप्लीकेट चाबी बनाकर फिर अपने पास मौजूद ईसीएम व चाबी के मॉडल की गाड़ी तलाश करते हैं. गाड़ी मिलने के बाद उस गाड़ी का ईसीएम बदल दिया जाता है. ईसीएम बदलने के बाद डुप्लीकेट चाबी की मदद से बदमाश गाड़ी चोरी का फरार हो जाते हैं. यह जानकारी बीते दिनों सौ से ज्यादा ईसीएम के साथ पकड़े गए एक गिरोह ने पुलिस को दी.
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ज्यादा कीमत पर बेची जाती है गाड़ी :दिल्ली से गाड़ी चोरी कर बदमाश उन्हें उत्तर पूर्वी भारत सहित बंगाल, बिहार आदि राज्यों में बेचते हैं. कई पकड़े गए गिरोह के बदमाशों ने बताया कि उन्हें गाड़ियों के आर्डर मिलते हैं. उन्हें बताया जाता था कि उन्हें किस गाड़ी का कौन सा मॉडल चोरी करनी है. जिसके बाद दुर्घटनाग्रस्त गाड़ियां जो स्क्रैप की जा चुकी होती हैं, उनके फर्जी दस्तावेजों को चोरी की गाड़ियों को दिया जाता था. चोरी की गाड़ी का चेसिस नम्बर, रजिस्ट्रेशन नम्बर स्क्रैप की जा चुकी गाड़ी के नम्बर से बदल दिया जाता था. साथ ही स्क्रैप की गई गाड़ी के मालिक का एक सेल लेटर तैयार किया जाता था, जो चोरी की गाड़ी को खरीदने वाले को दिया जाता था. जिससे भविष्य में कोई भी यह नहीं पता लगा सकता था कि यह चोरी की गाड़ी है. इसके एवज में बदमाश खरीदारों से मोटी रकम लेते थे.
वाहन चोरी कर पार्किंग में कर देते हैं खड़ा : दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि अब तक पकड़े गए ज्यादातर वाहन चोरों ने खुलासा किया है कि अक्सर वाहनों को रात दो से चार बजे के बीच चुराया जाता है. चोरों को लगता है कि इस अवधि में सड़कों पर पुलिस न के बराबर होती है. इसके अलावा लोग भी उस समय गहरी नींद में होते हैं. वाहन चोरी कर उन्हें किसी सुरक्षित पार्किंग जैसे मेट्रो या अन्य पार्किंग में खड़ा कर दिया जाता है. इसके बाद मौका लगते ही उसे ठिकाने लगा दिया जाता है. पुलिस की जांच में समाने आया है कि चोरी की गई जिन गाड़ियों की अच्छी कीमत मिलने के आसार होते हैं, उन्हें पूर्वी राज्यों में भेज दिया जाता है. बाकि गाड़ियों को मेरठ, मेवात, मुजफ्फरनगर, मुरादनगर, मुरादाबाद और संभल भेज दिया जाता है. जहां इन गाड़ियों को डिस्मेंटल (पुर्जो में बांट दिया जाता है) कर दिया जाता है. वाहनों के पुर्जे पुराने सामान के बाजार में पहुंच जाते हैं.
यहां पकड़े गए
गैंग-1 :
1- डिजिटल तरिके से करते थे चोरी :बिहार में बैठे ऑपरेटर से आर्डर मिलने पर दिल्ली में लग्जरी गाड़ी चोरी कर बेचने वाले हाईटेक चोरों के गिरोह के चार बदमाशों मोहम्मद साजिद, आकाश, मुन्ना और सोनू को मैदानगढ़ी थाना पुलिस ने गिरफ्तार किया है. आरोपियों के पास से 6 लग्जरी कार, लग्जरी कारों में लॉक तोड़ने की डिजिटल मशीन, ईसीएम, कार के लॉक और डुप्लीकेट चाबी बरामद हुई हैं. संजय कॉलोनी चौकी इंजार्च एसआई उमेश यादव को आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि आर्डर मिलने के बाद वे गाड़ी की तलाश करते थे. गाड़ी मिलने के बाद वे गाड़ी में लॉक तोड़ने की डिजिटल मशीन लगाते थे. जिससे लॉक खराब हो जाता था और फिर आरोपी डुप्लीकेट चाबी से गाड़ी खोलकर उसका ईसीएम बदल देते थे. ईसीएम बदलने के बाद आरोपी गाड़ियों को ले जाकर दूसरी जगह खड़ी कर देते थे और फिर ये गाड़ियां बिहार भेज दी जाती थी. हर गाड़ी पर आरोपियों को एक लाख रुपए मिलते थे.
गैंग 2