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कारगिल युद्ध: कहानी शहीद राइफलमैन अनसुया ध्यानी की, पाकिस्तानियों के छुड़ा दिए थे छक्के - कारगिल विजय दिवस

कारगिल विजय दिवस के मौके पर ऐसे ही एक वीर जवान की कहानी ईटीवी भारत आपके लिए लाया है. यह कहानी है 29 जून 1999 को द्रास सेक्टर में शहीद हुए राइफलमैन अनसुया प्रसाद ध्यानी की.

story of martyred anusuya dhyani who was martyred in kargil war
शहीद अनसुया ध्यानी

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Published : Jul 25, 2020, 10:07 PM IST

Updated : Jul 26, 2020, 12:33 PM IST

नई दिल्लीः 26 जुलाई 1999 के दिन ही भारत पाकिस्तान को उसकी हरकतों का करारा जवाब देते हुए कारगिल युद्ध में जीत हासिल की थी. देश के लिए कुर्बान होने वाले शहीदों की याद में 26 जुलाई को पूरा देश विजय दिवस के रूप में याद करता है. युद्ध में कई वीर जवान देश की सुरक्षा के लिए अपना बलिदान देकर भारत के इतिहास में अमर हो गए.

जानें देश की रक्षा के लिए शहीद हुए राइफलमैन की कहानी..

कारगिल विजय दिवस के मौके पर ऐसे ही एक वीर जवान की कहानी ईटीवी भारत आपके लिए लाया है. यह कहानी है 29 जून 1999 को द्रास सेक्टर में शहीद हुए राइफलमैन अनसुया प्रसाद ध्यानी की. अनसुया ध्यानी 18 गढ़वाल राइफल्स में भर्ती हुए थे और कारगिल युद्ध छिड़ने के बाद उनकी पोस्टिंग द्रास सेक्टर में हुई थी.

युद्ध में राइफलमैन अनसुया ध्यानी ने पाकिस्तानी फौजियों के छक्के छुड़ा दिए और बहादुरी के साथ लड़ते हुए उन्होंने विजय बद्री विशाल का झंडा द्रास सेक्टर को जीत कर फहराया था. जिसके बाद वह पाकिस्तान की तरफ से हुई गोलाबारी में शहीद हो गए.

वीर चक्र से किया गया सम्मानित

इस बारे में शहीद राइफलमैन अनसुया ध्यानी की पत्नी ने बताया कि उन्हें इस बहादुरी के लिए भारत सरकार द्वारा वीर चक्र से सम्मानित किया गया. उनका कहना है कि उनके पति भले ही अपने देश की आन-बान और शान के लिए लड़ते हुए शहीद हो गए, परंतु उनके बलिदान, बहादुरी और देश प्रेम की कहानी आज भी सभी के दिलों में जिंदा है.

Last Updated : Jul 26, 2020, 12:33 PM IST

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