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कोरोना: बच्चों की 'रिलीफ वैगन' मुहिम, जरूरतमंदों की मदद के लिए उठाया कदम - द्वारका एसीपी राजेन्द्र सिंह

कोरोना महामारी के दौरान गरीब और जरूरतमंदों की मदद करने के लिए 10वीं और 11वीं कक्षा के बच्चों की टीम ने मिलकर "रिलीफ वैगन" नामक मुहिम चलाई है. बच्चों की ओर से ये मुहिम पिछले 2 महीने से चलाई जा रही है. इसे आगे बढ़ाते हुए बच्चे द्वारका इलाके में भी पहुंचे. जहां द्वारका एसीपी राजेन्द्र सिंह और उनकी टीम ने उन्हें गाइड भी किया गया.

school students helping needy people
मदद के लिए बच्चों ने उठाया कदम

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Published : Sep 8, 2020, 1:01 PM IST

नई दिल्ली: 10वीं और 11वीं कक्षा के बच्चों की टीम ने मिलकर "रिलीफ वैगन" नामक मुहिम चलाई है. मुहिम के तहत ये स्कूल में पढ़ने वाले छात्र कोरोना महामारी के दौरान गरीब और जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं. ये बच्चे द्वारका सहित विभिन्न इलाकों में जाकर कपड़े, जूते, किताबें, सैनिटाइजर, मास्क सामान इकट्ठा कर गरीब और जरूरतमंद लोगों को वितरित कर रहे हैं.

द्वारका एसीपी ने दिया साथ

इसमें दिल्ली एनसीआर के अलग-अलग हिस्सों में रहने वाले बच्चे खुद मिलकर इस अभियान को नई उड़ान दे रहे हैं. ईटीवी की टीम ने जानने की कोशिश की, इनका क्या अभियान है...?


पिछले 2 महीने से चलाई जा रही है ये मुहिम

आपको बता दें कि बच्चों की ओर से ये मुहिम पिछले 2 महीने से चलाई जा रही है. इसे आगे बढ़ाते हुए बच्चे द्वारका इलाके में भी पहुंचे. जहां द्वारका एसीपी राजेन्द्र सिंह और उनकी टीम ने उन्हें गाइड भी किया गया.

द्वारका सब डिवीजन के एसीपी राजेंद्र सिंह ने अपने ऑफिस में इन बच्चों के साथ मीटिंग की. उन्हें गाइड किया की, कि किस तरह लोगों से बातचीत कर उनसे मदद लेनी है. साथ ही कोरोना महामारी के बीच खुद को और दूसरों को संक्रमित होने से बचाना है.



सरकारी स्कूलों कार्यशाला का भी कर रहे हैं आयोजन

इतना ही नहीं इस मुहिम के जरिए ये छोटे-छोटे बच्चे विभिन्न सरकारी स्कूलों में "सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल"और "ग्लोबल सिटीजनशिप" के ऊपर कार्यशाला का भी आयोजन कर रहे हैं. बच्चों की इस मुहिम को देखकर दिल्ली पुलिस भी उन्हें पूरा सहयोग दे रही है.



समस्याओं से जागरूक होकर बनाया मदद का उद्देश्य

इस हेल्पिंग टीम को लीड कर रहे श्रेयस भारद्वाज ने बताया कि कोरोना महामारी के दौरान मीडिया की ओर से माइग्रेंट लेबर(प्रवासी मजदूर) की समस्याओं को उजागर किया जा रहा था. जिसको देखने के बाद उन्हें और उनकी टीम को एहसास हुआ कि उन्हें ऐसे लोगों की मदद करनी चाहिए.

इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए उन्होंने इस टीम का गठन किया और लोगों की मदद के लक्ष्य पूरा करने के लिए चल पड़े.

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