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कम जगह में पेश किया...हरियाली और फूलों की खूबसूरती की मिसाल - हरियाली और फूलों की खूबसूरती

दिल्ली सहित देश भर में बढ़ रहे पॉल्यूशन और भागदौड़ भरी जिंदगी के बीच लोग प्रकृति से दूर और कंक्रीट के बिल्डिंगों से घिर चुके हैं. इसका वातावरण पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है. लेकिन इन सबके बीच द्वारका की एक सोसाइटी ऐसी भी है, जहां हॉर्टिकल्चर का बेहतरीन उदाहरण पेश करते हुए सोसाइटी की सुंदरता और हरियाली को बरकरार रखने की कोशिश की जा रही है.

dwarka flower society
द्वारका फ्लावर सोसाइटी

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Published : Mar 27, 2022, 2:29 PM IST

नई दिल्ली:दिल्ली सहित देश भर में बढ़ रहे पॉल्यूशन और भागदौड़ भरी जिंदगी के बीच लोग प्रकृति से दूर और कंक्रीट के मकानों से घिर चुके हैंं, जिसका वातावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, वहीं दूसरी तरफ पक्षी भी कम नजर आ रहे हैं. लेकिन इन सब के बीच द्वारका उपनगरी की एक सोसाइटी ऐसी भी है, जहां हॉर्टिकल्चर का बेहतरीन उदाहरण पेश करते हुए सोसाइटी की सुंदरता और हरियाली को बरकरार रखने की कोशिश की जा रही है.

तस्वीरें द्वारका उपनगरी के सेक्टर 13 स्थित DJA अपार्टमेंट की है, जहां सोसाइटी के अंदर किस खूबसूरती से हरियाली को बनाते हुए सुंदर फूलों की बागबानी की गई है. सोसाइटी के अंदर सीमित जगह और सीमित संसाधनों का बेहतरीन उपयोग करते हुए, यहां की खूबसूरती में चार चांद लगा दिया गया है.

कम जगह में खूबसूरती की मिसाल

DJA अपार्टमेंट के प्रेसिडेंट ने बताया कि दिल्ली के अंदर जगह-जगह पार्क तो बनाये गए हैं, इसके बाद भी सोसाइटी के अंदर भी 30 से 33 प्रतिशत एरिया ग्रीन होना चाहिए, लेकिन ज्यादातर सोसाइटी इस पर ध्यान नहीं दे रही है. उन्होंने बताया कि इनकी सोसाइटी में इस पर पूरा फोकस किया गया है. सिलसिलेवार ढंग से हॉर्टिकल्चर के उपायों को अपना कर यहां ग्रीनरी और सुंदर फूलों की बागवानी की गई है. जहां जमीन है वहां जमीन पर फूल-पौधे लगाए गए हैं और जहां जगह नहीं मिली वहां पर हैंगिंग फ्लावर प्लांट लगाए गए हैं. इससे जहां एक तरफ सोसाइटी खूबसूरत दिखती है, वहीं दूसरी तरफ उन चिड़ियों और पक्षियों को भी आश्रय मिलने लगा है, जो धीरे-धीरे कम होने लगे थे. आज उन्हीं चिड़ियों की आवाज से सुबह उठने पर एक सुखद अनुभूति होती है.

आज के इस प्रदूषण भरे समय और माहौल में जरूरत है कि लोग हरियाली और वातावरण के प्रति संजीदगी दिखाते हुए पेड़-पौधे और फूल लगाएं. जिससे प्रकृति का संतुलन बना रहे. हमारे पड़ोसी केवल कंक्रीट के मकानों में रहने वाले लोग ही नहीं बल्कि वो पक्षी और चिड़िया भी बने जो अब धीरे-धीरे विलुप्त होते जा रहे हैं.

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