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Chhawla Gang Rape Case की 11वीं बरसी पर निर्भया चौक पर लोगों ने निकाला कैंडल मार्च - पीड़िता को न्याय दिलाने की मांग

दिल्ली के छावला गैंगरेप और मर्डर के मामले को 11 साल पूरे होने के बाद बीती रात द्वारका में कैंडल मार्च निकाला गया. इस कैंडल मार्च में काफी संख्या में लोग इकट्ठे हुए. इस दौरान लोगों ने कहा कि छावला पीड़िता के आरोपियों को सजा दिलाकर रहेंगे.

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छावला गैंगरेप और मर्डर के मामले

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Published : Feb 11, 2023, 7:44 AM IST

छावला गैंगरेप और मर्डर के मामले

नई दिल्ली : छावला गैंगरेप और मर्डर के सनसनीखेज मामले को 11 साल पूरे हो गए हैं. इस मामले में बरी आरोपियों को खिलाफ आवाज बुलंद करने और पीड़िता को न्याय दिलाने की मांग को लेकर बीती रात द्वारका के निर्भया चौक पर सैकड़ों की संख्या में लोगों ने जमा होकर कैंडल मार्च निकाला . यह कैंडल मार्च द्वारका सेक्टर-19 के अक्षरधाम अपार्टमेंट के बाहर बने निर्भया चौक से कारगिल चौक तक निकाला गया. इसमें काफी संख्या में महिलाएं भी शामिल हुईं थी.

इस अवसर पर लोगों ने कहा कि इस तरह की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं. देश की बेटियां सुरक्षित नहीं है और सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए. इस मामले में बरी तीन आरोपियों में से एक विनोद ने 26 जनवरी को तड़के एक ऑटो ड्राइवर की हत्या कर दी थी. अगर वह जेल में होता तो ऑटो ड्राइवर जिंदा होता. उसका परिवार आज भूखमरी के कगार पर नहीं आता.

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इस कैंडल मार्च में निर्भया की मां आशा देवी भी शामिल हुईं थी. उन्होंने भी छावला पीड़िता की न्याय के लिए अपनी आवाज बुलंद की. उन्होंने कहा की छावला कांड, निर्भया कांड के बाद भी न तो सरकार जागी है और न ही प्रशासन. घटनाएं अभी भी लगातार हो रही हैं. यह एक गंभीर मामला है. वहीं, इस कैंडल मार्च की अगुवाई कर रहे द्वारका उत्तराखंडी उत्तरायणी समिति के पदाधिकारी उमेश काला ने कहा की जब तक न्याय नहीं मिल जाता, यह प्रदर्शन चलता रहेगा और निर्भया के दोषियों की तरह छावला पीड़िता के आरोपियों को सजा दिलाकर रहेंगे.

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बता दें कि पीड़िता दिल्ली के छावला निवासी थी और 9 फरवरी 2012 में ऑफिस से घर लौटने के दौरान कुतुब विहार से उसका अपहरण कर लिया गया था. अपहरण के तीन दिन बाद हरियाणा में उसका शव क्षत-विक्षत अवस्था में पाया गया था. इस मामले में तीनों आरोपियों राहुल, रवि और विनोद को सुप्रीम कोर्ट ने बरी कर दिया था, जबकि 2014 में डिस्ट्रिक्ट कोर्ट द्वारा उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई थी, जिसे दिल्ली हाई कोर्ट ने भी बरकरार रखा था.

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