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आये थे चित्तौड़गढ़ से राजधानी दिल्ली... सड़क पर 20 सालों से यूंहीं गुजर रही जिंदगी - फूटपाथ पर गुजार रहे जिंदगी

20 साल पहले राजस्थान के चित्तौड़गढ़ से दिल्ली अच्छी जिंदगी की तलाश में कुछ परिवार दिल्ली आया था, लेकिन इतने सालों के बाद भी उन्हें सरकारों ने मूलभूत सुविधाएं मुहैया नहीं करा पाई हैं. यह लोग फुटपाथ पर जिंदगी जीने को मजबूर हैं.

dwarka footpath resident
सड़क पर रहने को मजबूर हैं लोग

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Published : Jan 27, 2022, 2:41 PM IST

नई दिल्ली:दिल्ली सहित देश के ज्यादातर हिस्सों में इस वक़्त कड़ाके की ठंड पड़ रही है. इस सर्दी में जहां लोग अपने घरों में रजाई के अंदर या हीटर के पास रहना चाह रहे हैं, वहीं दिल्ली के फुटपाथ पर कई परिवार सर्द भरी रात में जैसे-तैसे रात गुजारने को मजबूर हैं.

तस्वीरें अर्जुन पार्क इलाके की हैं, जहां परिवार सड़क के किनारे मूर्तियां, मिट्टी के बर्तन, चूल्हे, औजार आदि बेचकर अपने परिवार के लिए दो जून की रोटी का इंतजाम में लगा हुआ है और इसी फुटपाथ पर प्लास्टिक का शेड डालकर पूरे परिवार के साथ रहता है.

सड़क पर रहने को मजबूर हैं लोग

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बेहतर जिंदगी की आस लिए 20 साल पहले चित्तौड़गढ़ से दिल्ली आये ये लोग आज फुटपाथ पर जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं. कहने के लिए इनके पास वोटर कार्ड, आधार कार्ड जैसे सभी डॉक्युमेंट्स मौजूद हैं, यहां तक कि ये लोग वोट भी डालते हैं, लेकिन आज तक इन्हें मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल पाई हैं. वैसे तो चुनाव के वक्त नेता वोट मांगने आते हैं इन्हें उनकी सुविधाओं के लिए काम करने का आश्वासन भी देते हैं लेकिन आज तक किसी सरकार और जनप्रतिनिधि ने इनकी बेहतरी के लिए कुछ भी नहीं किया.

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यह एक बहुत बड़ा सवाल है कि जनप्रतिनिधियों और सरकारों के लिए कि जो लोग अपना घर-बार छोड़कर दूसरे प्रदेश में रोजी-रोटी के लिए जाते हैं लेकिन उन्हें दो वक्त की रोटी के लिए भी दिन रात जद्दोजहद करना पड़ता है. सर्दी, गर्मी, बरसात की मार झेल रहे इन लोगों को दोनों वक्त की रोटी मिल जाए इलका भी कोई भरोसा नहीं होता है.

रोटी, कपड़ा और रहने के लिए एक अदद घर की जरूरत हर व्यक्ति के लिए आवश्यक है. नेता इनसे वोट तो लेते हैं लेकिन इनके प्रति अपनी कोई जिम्मेदारी नहीं निभाते हैं. आखिर ये किसकी जिम्मेदारी है...? आखिर कब तक ये लोग ऐसे ही प्लास्टिक के शेड के अंदर खुद को और अपने परिवार की देखरेख कर सकेंगे.

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