नई दिल्ली: दिल्ली के वैशाली इलाके में स्थित अस्पताल लगी आग में फायरकर्मियों ने 19 दुधमुंहे बच्चों की जान बचाकर उनके परिवारों की खुशियां को बरकरार रखा. लेकिन यदि वे केवल आग बुझाने पर ही फोकस करते तो बच्चों को बचाना मुश्किल था. लेकिन फायरकर्मियों ने सूझबूझ का परिचय देते हुए ऊपरी मंजिल पर खिड़की के शीशे को तुरंत तोड़कर ऊपर पहंचे और बच्चों को बचा लिया. अगर वे बगल वाले मकान से छोटा ब्रिज बनाकर बच्चों को वहां से तुरंत रेस्क्यू नहीं करते तो बड़ा हादसा हो सकता था.
इनमें से एक फायरकर्मी से ईटीवी भारत ने बातचीत कर वहां की स्थिति के बारे में बताने के साथ अपना अनुभव भी शेयर किया. द्वारका के स्टेशन ऑफिसर मुकुल भारद्वाज ने कहा कि जब हम लोग वहां पहुंचे तो पता चला कि आग अस्पताल के बेसमेंट में लगी है. ग्राउंड फ्लोर पर दुकानें बंद थी, लेकिन बेसमेंट में लगी आग से धुआं निकलकर फर्स्ट फ्लोर तक पहुंच रहा था. हॉस्पिटल की नर्सरी में 19 बच्चे फंस गए थे और यदि वे धुएं की चपेट में आ जाते तो उन्हें बचाना मुश्किल था. इससे स्टाफ भी काफी घबराया हुआ था, जिन्हें हमलोगों ने समझाकर नॉर्मल किया.
इसके बाद ऊपर खिड़की के शीशे को तोड़कर आधा दर्जन फायरकर्मियों की टीम पहुंची और बगल वाली गली में बने एक मकान के साथ ब्रिज बनाया. फिर दोनों तरफ फायरकर्मियों को तैनात कर एक-एक कर के बच्चों को दूसरी तरफ शिफ्ट किया गया. जब सारे बच्चे हॉस्पिटल की बिल्डिंग से दूसरे मकान में शिफ्ट कर गए तो कैट की एंबुलेंस को बुलाकर इन बच्चों को अलग-अलग अस्पतालों में भेजा गया.