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अस्पताल ने कोरोना टेस्ट के लिए 4500 रुपये लिए, फिर इलाज से भी किया इनकार

कैंसर मरीज विनोद अपने इलाज के लिए वेंकटेश्वर अस्पताल गए. पहले तो अस्पताल ने विनोद का कोरोना टेस्ट किया और उस टेस्ट के लिए 4500 रुपये भी लिए. विनोद के पास बीपीएल कार्ड था. उसके बावजूद उससे कोरोना टेस्ट के लिए अस्पताल ने पैसे ले लिए और कैंसर का इलाज करने से भी मना कर दिया.

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वेंकटेश्वर अस्पताल पर आरोप

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Published : May 22, 2020, 1:32 PM IST

Updated : May 22, 2020, 8:37 PM IST

नई दिल्ली: द्वारका के वेंकटेश्वर अस्पताल ने ईडब्ल्यूएस कैटेगरी के एक कैंसर मरीज का मुफ्त इलाज करने से मना कर दिया. परिजनों का आरोप है कि अस्पताल वालों ने उसके कोरोना के टेस्ट के लिए 4500 रुपये भी लिए जबकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक ईडब्ल्यूएस कैटेगरी के मरीज से कोरोना के टेस्ट के लिए पैसे नहीं लिए जा सकते हैं.

परिजनों का आरोप

बीपीएल कार्ड के बावजूद कोरोना टेस्ट के पैसे लिए

परिजनों का कहना है कि कैंसर मरीज विनोद अपने इलाज के लिए वेंकटेश्वर अस्पताल गए. पहले तो अस्पताल ने विनोद का कोरोना टेस्ट किया और उस टेस्ट के लिए 4500 रुपये भी लिए. विनोद के पास बीपीएल कार्ड था. उसके बावजूद उससे कोरोना टेस्ट के लिए अस्पताल ने पैसे ले लिए.

कैंसर का इलाज करने से मना किया

कोरोना टेस्ट के बाद अस्पताल ने विनोद का कैंसर का इलाज करने से मना कर दिया. विनोद के परिजनों ने कहा कि उनके पास पैसे नहीं है. उन्हें ईडब्ल्यूएस कैटेगरी में इलाज किया जाए. लेकिन अस्पताल ने इलाज करने से मना कर दिया.

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 9 जुलाई 2018 को अपने आदेश में कहा था कि सरकार ने जिन निजी अस्पतालों को रियायती दर पर जमीन दी है. वे आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों का मुफ्त में इलाज करेंगे. इस आदेश के मुताबिक अस्पतालों को 10% बेड गरीबों के लिए मुफ्त मुहैया कराने होंगे. ओपीडी में कुल मरीजों का 25% गरीबों के मुफ्त इलाज के लिए होगा. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि सरकार से रियायती दर पर जमीन पाने वाले अस्पतालों को नियम मानने होंगे.

Last Updated : May 22, 2020, 8:37 PM IST

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