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Published : Mar 20, 2023, 2:31 PM IST

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Chief Fire Officer : सिपाही से बने चीफ फायर ऑफिसर, कीर्ति नगर अग्निकांड में 6 माह तक लड़े थे जिंदगी और मौत से जंग

कीर्ति नगर अग्निकांड में बुरी तरह झुलसकर लगभग 6 महीनों तक हॉस्पिटल में जिंदगी और मौत से जूझने वाले जांबाज फायर ऑफिसर धर्मपाल भारद्वाज दिल्ली फायर ब्रिगेड के चीफ फायर ऑफिसर बन गए है.

धर्मपाल भारद्वाज सिपाही से बने चीफ फायर ऑफिसर
धर्मपाल भारद्वाज सिपाही से बने चीफ फायर ऑफिसर

सिपाही से बने चीफ फायर ऑफिसर

नई दिल्ली:बात साल 2004 की है, जब पश्चिमी दिल्ली कीर्ति नगर अग्निकांड में आग बुझाने के दौरान दिल्ली का एक फायर ऑफिसर बुरी तरह झुलस गया था. इस दौरान वह करीब 6 महीनों तक हॉस्पिटल में जिंदगी और मौत से जंग लड़ते रहे थे. आखिरकार उस दौरान उस जंग में उनकी जीत हुई थी. अब इसी कड़ी में खबर आ रही है कि उस अग्निकांड में बुरी तरह घायल हुए जांबाज फायर ऑफिसर डॉक्टर धर्मपाल भारद्वाज दिल्ली फायर ब्रिगेड के चीफ फायर ऑफिसर बन गए हैं.

जानकारी के अनुसार धर्मपाल भारद्वाज को दिल्ली फायर ब्रिगेड के चीफ फायर ऑफिसर बनाए जाने की खुशी में नजफगढ़ से आगे मुंढेला कला गांव में दर्जनों अलग-अलग गांव के सैकड़ों बुजुर्ग, महिलाएं, बच्चे और गणमान्य लोग मंदिर में इकट्ठा हुए और अपने गांव के बेटे का अभिनंदन कर जोरदार स्वागत किया. साथ ही इस कार्रक्रम के दौरान फायर ब्रिगेड के तीन और ऑफिसर मंडल अधिकारी वेदपाल, एमके चट्टोपाध्याय और सहायक मंडल अधिकारी सरबजीत को भी पगड़ी पहनाकर स्वागत किया गया.

आयोजित कार्यक्रम में गांव वालों ने पौराणिक मंदिर में तीन बार के राष्ट्रपति अवार्डी डॉ. धर्मपाल भारद्वाज को गदा भेंट किया. साथ ही ट्रॉफी देकर और बुजुर्गों द्वारा पगड़ी बांधकर सम्मानित किया गया. इस आयोजन में 360 खाप के प्रधान सुरेंद्र सोलंकी, नवीन जयहिंद, पूर्व प्रधानाचार्य, भारत सरकार के गृह मंत्रालय में डायरेक्टर के पद पर तैनात चित्रलेखा शर्मा, ताज सिंह, सुरेश शर्मा, बलवंत सिंह सहित कई गणमान्य लोग शामिल हुए.

डॉ. धर्मपाल भारद्वाज ने इस अवसर पर कहा कि जिस तरह से हम संपत्ति की रजिस्ट्री का ट्रांसफर अपने बच्चों को करते हैं, उसी तरह संस्कार का भी ट्रांसफर करना चाहिए. ताकि वह अपने समाज, अपने देश के लिए बेहतर कर सकें. फायर ब्रिगेड में निचले पद से शुरुआत की थी, आज चीफ फायर ऑफिसर के पद पर पहुंचे हैं. यह हमारे साथ-साथ हमारे गांव वालों के लिए खुशी और गर्व की बात है.

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सिपाही से चीफ फायर ऑफिसर तक का सफर: गौरतलब है कि धर्मपाल भारद्वाज 2004 में पश्चिमी दिल्ली कीर्ति नगर अग्निकांड में आग बुझाने के दौरान बुरी तरह झुलस गए थे. कई महीनों तक उनका इलाज हॉस्पिटल में चलता रहा, तब जाकर उनकी जान मुश्किल से बच पाई थी. शरीर का काफी बड़ा हिस्सा जल गया था. उस अग्निकांड में तत्कालीन चीफ फायर ऑफिसर सुरेंद्र कुमार सहित कई फायरकर्मी शहीद हो गए थे. विदेश से डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त करने वाले डॉ. धर्मपाल भारद्वाज को फायर सर्विस में बेहतरीन योगदान करने के लिए तीन बार राष्ट्रपति के द्वारा सम्मानित किया जा चुका है. उन्होंने अपने कार्यकाल में कई ऐसे बड़े अग्निकांडो में अपने सूझ-बुझ से अब तक सैकड़ों लोगों की जान बचाने में अहम भूमिका अदा की है. इन्हें विशिष्ट सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल, वीरता चक्र और शौर्य चक्र से सम्मानित किया जा चुका है.

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