नई दिल्ली:दिल्ली के LG और दिल्ली विकास प्राधिकरण (Delhi Development Authority)अनिल बैजल की अध्यक्षता में डीडीए की बैठक आयोजित की गई. जिसमें डीडीए से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की गई और कई अहम निर्णय लिए गए. इस मीटिंग में डीडीए के उपाध्यक्ष अनुराग जैन और विधायक विजेंदर गुप्ता, सोमनाथ भारती, ओपी शर्मा, निगम पार्षद उत्तरी दिल्ली, आदेश कुमार गुप्ता और दक्षिणी दिल्ली के कैलाश सांकला सहित प्राधिकरण के अन्य सदस्य शामिल हुए.
इस मीटिंग में लैंड पालिसी 2018 के अंतर्गत अधिसूचित क्षेत्रों के लिए एडीसी मानक को अंतिम अनुमोदन दे दिया गया है. बता दें कि एडीसी मानक में लैंड पूलिंग क्षेत्रों के सेक्टरों में योजना और विकास हेतु समग्र, स्मार्ट, सतत कार्यनीति के लिए प्राधिकरण ने लैंड पॉलिसी 2018 के अंतर्गत अधिसूचित क्षेत्रों के लिए अतिरिक्त विकास नियंत्रक मानकों को अंतिम अनुमोदन दिया है.
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बता दें कि इस प्रस्ताव को प्राधिकरण की 13 अप्रैल 2021 की बैठक में अनुमोदित किया गया था और उसके बाद आम जनता से आपत्तियां/सुझाव आमंत्रित करने हेतु इसे पब्लिक डोमेन में डाला गया था. इसे अब आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय, भारत सरकार को विचारार्थ और अंतिम अधिसूचना हेतु अग्रेषित किया जाएगा.
प्रस्तावित एडीसी की प्रमुख विशेषताएं:
- प्रमुख परिवहन कॉरिडोरों के साथ उच्च तीव्रता का मिश्रित उपयोग विकास.
- दिल्ली में पहली बार उपयोगों की वर्टिकल मिक्सिंग शुरू करना.
- वॉकेबिलिटी को वरीयता और सेक्टरों में खुले स्थलों की अधिकता.
- नवीन अवधारणा दिल्ली में पहली बार हस्तांतरणीय विकास अधिकार.
- न्यूनतम 5000 वर्ग मीटर आकार के निर्धारित आवासीय प्लॉट पर प्लॉटेड विकास क्लस्टर को अनुमति देना.
- सेक्टर ले-आउट में अधिक खुलापन लाने के लिए पब्लिक प्लाजा और सक्रिय अग्रभागों की नवीन अवधारणा.
- रहने-योग्य, स्मार्ट और सतत विकास के लिए विकेन्द्रीकृत वास्तविक आधारिक संरचना का प्रावधान.
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वहीं एडीसी के माध्यम से प्राप्त किये जाने के लिए प्रस्तावित महत्वपूर्ण परिणामों का संक्षिप्त विवरण-
- सेक्टर स्तर पर निर्मित किया जाने वाला कुल क्षेत्र, लैंड पूलिंग सेक्टर की अधिकतम एफएआर सीमा को पार किए बिना एक सेक्टर में विभिन्न प्लॉटों में वैरिड/लोडिड हो सकता है.
- साइट की स्थिति या योजना विमर्श के कारण 60% भूमि की वापसी में किसी भी कमी/परिवर्तन के मामले में, कंसोर्टियम/डीई को अपने 60% भूमि के हिस्से पर कुल निर्धारित एफएआर सीमा का उपयोग करने की अनुमति है.
- शर्तों के अधीन भूमि उपयोग और हस्तांतरणीय विकास अधिकारों (टीडीआर) के विनिमय के माध्यम से सेक्टर स्तर पर लागू एफएआर में परिवर्तन की भी अनुमति दी गई है.
- सामरिक, हाई इंटेंसिटी मिक्स्ड डेवलेपमेंट, टाइपोलॉजी के संगत मिश्रण को बढ़ावा देने और वॉकेबिलटी को बढ़ावा देने के लिए, स्ट्रेटेजिक वी एम प्लॉटों में सेक्टर में बढ़े हुए खुले स्थान, उपयोग के मिश्रण (क्षैतिज/ऊर्ध्वाधर) की अनुमति देने का प्रस्ताव है, जिसमें संपूर्ण एफएआर 400 से अधिक नहीं होना चाहिए.
- प्लॉट/भवन स्तरीय नियंत्रण के अनुसार 5000 वर्गमीटर के क्लस्टर पर प्लॉट विकास की अनुमति दी जा रही है.
- सामाजिक आधारिक संरचना सुविधाओं को भी समूह आवास प्लॉटों के अंतर्गत विकसित करने की अनुमति दी जा रही है.
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2018 में अधिसूचित दिल्ली विकास प्राधिकरण की भूमि नीति का उद्देश्य भूमि मालिकों के साथ साझेदारी में भूमि विकास को बढ़ावा देना है, जिससे उन्हें विकास प्रक्रिया में समान भागीदार बनाया जा सके. लैंड पूलिंग नीति के अंतर्गत दिल्ली विकास प्राधिकरण के वेब पोर्टल में 20 दिसंबर 2020 तक लगभग 6930.4 हेक्टेयर भूमि शामिल हुई है, जो काफी उत्साहजनक है. सुविधा प्रदाता की भूमिका निभाते हुए दिल्ली विकास प्राधिकरण ने नीति के प्रचालन के लिए विभिन्न कार्य नीतिक पहल भी शुरू की है और कुछ संभावित क्षेत्रों में योजना एवं विकास कार्य आरंभ करने की दिशा में भी कार्य कर रहा है.
वर्तमान में यह नीति दिल्ली के शहरी विस्तार क्षेत्रों में लागू है, जिसमें जोन जे, के-I, एल-एन और पी-II में आने वाले 95 गांव शामिल हैं. यह पूरा क्षेत्र 109 क्षेत्रों में विभाजित है और औसतन प्रत्येक क्षेत्र लगभग 250 हैक्टेयर से 350 हैक्टेयर है तथा इसमें लगभग 80,000 से 1 लाख आबादी को समायोजित करने का अनुमान है.
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वहीं नीति के तहत नियम और शर्तों के अनुसार घरेलू उपयोग के लिए सौर्य पैनल की स्थापना की अनुमति दी गई है. ब्लॉक की छत और सामान्य सीढ़ी सतित सामान्य क्षेत्र ब्लॉक के सभी निवासियों/मालिकों के लिए समान रहेंगे और किसी विशेष निवासी/मालिकों के समूह द्वारा उनका अनन्य उपयोग नहीं किया जा सकता है.
प्राधिकरण ने एमपीडी-2041 के मसौदे पर प्राप्त आपत्तियों और सुझावों की सुनवाई के लिए उपाध्यक्ष, डीडीए की अध्यक्षता में एक बोर्ड के गठन को भी मंजूरी दे दी है और अब इसे अंतिम अधिसूचना के लिए आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय, भारत सरकार को भेजा जाएगा.