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यमुना खादर: दिल्ली जल बोर्ड के दावों की खुली पोल, खाली टंकी से लोग परेशान - manish sisodia

दिल्ली के यमुना खादर इलाके के लोग पानी की दिक्कतों से काफा परेशान रहते हैं. कुछ वक्त पहले ही यहां पर दिल्ली जल बोर्ड और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के प्रयास के बाद पानी की टंकियां लगाई गई थी. लेकिन आज वो सभी टंकियां खाली पड़ी है. ईटीवी भारत के जरिए स्थानीय लोगों की आपबीती सुनिए.

water tanks installed by delhi jal board in yamuna khadar area are empty
यमुना खादर इलाके में खाली पड़े जल बोर्ड के टैंक बने मुसीबत

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Published : Jul 10, 2020, 8:12 PM IST

नई दिल्ली: कुछ साल पहले यमुना खादर के निवासियों को हो रही दिक्कतों को देखते हुए दिल्ली जल बोर्ड और दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के संयुक्त प्रयास से यमुना खादर के कई जगहों पर पानी की टंकियां लगाई गई थी. इन टंकियों में दिल्ली जल बोर्ड के टैंकरों द्वारा पानी भरा जाता था. जिससे आम लोगों की जरूरतें पूरी हो सके. लेकिन हैरानी की बात ये है कि कुछ दिन पानी भरने के बाद से ही पानी की सभी टंकिया खाली पड़ी हैं. जिस कारण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

यमुना खादर इलाके में खाली पड़े जल बोर्ड के टैंक बने मुसीबत
खाली पड़ी है टंकियापूर्वी दिल्ली का यमुना खादर इलाका आज भी आधुनिक सुविधाओं से दूर है. आज भी यहां की आबादी पीने के पानी के लिए चापाकल या फिर दिल्ली जल बोर्ड के वॉटर टैंकर पर निर्भर है. हालांकि कुछ साल पहले यहां पर दिल्ली जल बोर्ड और मनीष सिसोदिया द्वारा पानी के बड़े-बड़े टैंक लगवाए गए थे. जिनमें दिल्ली जल बोर्ड द्वारा पीने का पानी भरा जाता था. लेकिन यह योजना कुछ दिन तक ही लागू रही, जिसके बाद से ही यह पानी के टैंक खाली पड़े हैं. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान स्थानीय निवासियों ने बताया कि शुरुआती कुछ दिनों में तो इन टैंको में पानी भरा गया. लेकिन उसके बाद से ही यह सभी टैंक सूखे पड़े हैं. निवासियों ने बताया कि अभी के समय 3-4 दिन में पानी का टैंकर आता है, जिस कारण यहां के लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

होती है काफी परेशानी

बातचीत के दौरान एक स्थानीय महिला ने बताया कि पिछले 3 दिनों से यहां पानी का टैंकर नहीं आया है. घर में कपड़े धोने तक के लिए पानी नहीं है. उन्होंने बताया कि यहां पानी के टैंक तो दिल्ली सरकार द्वारा लगाए गए हैं, लेकिन उनमें कभी पानी नहीं भरा जाता. जब टैंकर आता है तो हम अपनी जरूरत के हिसाब से पानी भर लेते हैं. लेकिन वह नाकाफी होता है क्योंकि पानी का टैंकर यहां रोज नहीं आता, जिस कारण हम आज भी चापाकल के पानी पर निर्भर है.

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