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नेहरू नगर में आदिवासी झुग्गी कैंप के लोग पानी में रहने को मजबूर

दक्षिणी पूर्वी दिल्ली के नेहरू नगर में स्थित आदिवासी झुग्गी कैंप के लोग पानी में रहने को मजबूर हैं. यहां लोगों को गंदे पानी में रहना पड़ रहा है, लेकिन स्थानीय आम आदमी पार्टी के विधायक प्रवीण कुमार ने कोई कार्रवाई नहीं की है.

water logging in tribal slum camp
आदिवासी झुग्गी कैंप में पानी

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Published : Aug 19, 2020, 2:34 PM IST

नई दिल्ली: दक्षिणी पूर्वी दिल्ली के नेहरू नगर में स्थित आदिवासी झुग्गी कैंप के लोग पानी में रहने को मजबूर हैं. यहां लोगों को गंदे सीवर वाले पानी में रहना पड़ रहा है, लेकिन स्थानीय आम आदमी पार्टी के विधायक प्रवीण कुमार ने कोई कार्रवाई नहीं की है.

आदिवासी झुग्गी कैंप में पानी

'कहां गया विकास के लिए दिया गया बजट'

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए स्थानीय लोगों के साथ ही आरडब्ल्यूए के प्रेसिडेंट और वाइस प्रेसिडेंट ने कहा कि वे विधायक के पास कई बार लिखित में कंप्लेंट दे चुके हैं, लेकिन इसके बाद मौजूदा स्थानीय विधायक प्रवीण कुमार कोई भी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं. अगर कार्रवाई कर रहे हैं तो वो जमीन पर क्यों नहीं दिखाई देती.



स्थानीय लोगों का कहना है कि वो विधायक के पास कई बार जा चुके हैं. विधायक कह देते हैं कि हमने डिपार्टमेंट को इसकी इंफॉर्मेशन दे दी है और काम के लिए बजट भी हमने जारी कर दिया है, लेकिन बजट गया तो गया कहां. इसका जवाब देने के लिए विधायक के पास टाइम ही नहीं है.



'सिर से छिनी छत'


दरअसल, ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए एक स्थानीय महिला ने कहा कि वो बहुत गरीब है, झुग्गियों में रहती है, आईटीओ से आने वाले गंदे नाले का पानी उसके घर में घुस गया. जरूरत का सारा सामान सब बर्बाद हो गया. वो किसी काम लायक नहीं बचा हुआ है. उसके जो बचत के पैसे थे ₹2-3 हजार वो भी सीवर के गंदे पानी में बह गए हैं. अब दूसरे के घरों में जाकर अपना गुजारा कर रही है.


साथ ही आगे वो बताती है कि इस बरसात के मौसम में उसे इतनी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है कि वो मुंह से बयां तक नहीं कर सकती, वो अपने छोटे-छोटे तीन बच्चों को लेकर दर-दर भटक रही है, लेकिन ना प्रशासन ना विधायक कोई उनकी खबर नहीं ले रहा है.


कुछ स्थानी लोगों ने कहा कि विधायक प्रवीण कुमार यहां पर दिखाई तक नहीं देते हैं और जब इलेक्शन आता है. तभी विधायक प्रवीण कुमार आते हैं और बड़े-बड़े वादे करके चले जाते हैं, लेकिन चुनाव बीत जाने के बाद सारे वादे हवा-हवाई साबित होते हैं और जंगपुरा की जनता बे मौत मरने को मजबूर है.

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