नई दिल्ली: मुस्लिम समाज में शिक्षा के घटते स्तर को ध्यान में रखते हुए नौजवानों और उनके पेरेंट्स को एजुकेशन की अहमियत समझाने के लिए एक मीटिंग का आयोजन किया गया. यह मीटिंग शमा एजुकेशनल एंड पॉलीटेक्निक सोसाइटी और जाफराबाद आरडब्ल्यूए ने बुलाई थी. मीटिंग में समाज के बुद्धिजीवी वर्ग के साथ-साथ प्रमुख समाजसेवियों ने भी हिस्सा लिया.
डॉ.सलीम अहमद ने की बैठक की अध्यक्षता
मुस्लिम समाज में शिक्षा के प्रति युवाओं और उनके परिजनों के उदासीन रवैये को बदलने के लिए मुस्लिम बुद्धिजीवियों की एक खास बैठक का आयोजन सादिक़ अली के निवास स्थान पर किया गया. जहां पर बड़ी संख्या में संस्था और आरडब्ल्यूए के सदस्यों ने भाग लिया. बैठक की अध्यक्षता डॉ.सलीम अहमद ने की.
बैठक में अपनी बात रखते हुए सामाजिक कार्यकर्ता और संस्था के महासचिव डॉ.फहीम बेग ने जानकारी दी कि पिछले वर्षों की भांति इस वर्ष भी जाफराबाद और उसके आस-पास के स्कूलों का रिजल्ट काफी कम रहा, जिसका मुख्य कारण छात्रों, युवाओं और उनके परिजनों का शिक्षा प्राप्त करने में उनकी उदासीनता और लापरवाही है.
'लगभग 2000 छात्र हो रहे हैं ड्रॉप आउट'
प्रति वर्ष 1500 से 2000 छात्र ड्रॉप आउट हो रहे हैं. फिर वो कहीं न कहीं विसंगतियों में पड़कर समाज को निर्मित नहीं बल्कि बिगाड़ने का काम कर रहे हैं. डॉ.बेग ने कहा कि इन समस्याओं को सुधारने और शिक्षा के प्रति उनका रुझान बढ़ाने के लिए हमने आज इस बैठक का आयोजन किया है. सभी को इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर अपनी अपनी राय देकर इन समस्याओं से उबरने के रास्ता निकालना होगा, तभी मुस्लिम समाज का उत्थान हो सकेगा.
'भाषा और विषय को लेकर हो कॉउंसलिंग'
संस्था के अध्यक्ष मिर्ज़ा शाहिद चंगेज़ी ने कहा कि भाषा और विषय को लेकर छात्रों की कॉउंसलिंग की आवश्यकता है, जिससे छात्र अपनी शिक्षा के प्रति ज़िम्मेदार बनेंगे. बैठक में ज़ोहरान जिलानी ने बताया कि वर्तमान में अध्यापकों का रवैया भी बहुत चिंता का विषय है, वो बच्चों पर आवश्यकता से अधिक दबाव बना रहे हैं. उन्हें समय के साथ नई-नई तकनीक का प्रयोग न करके उन्हें कहीं न कहीं मानसिक आघात दे रहे हैं जिसके चलते छात्र शिक्षा प्राप्त करने में अरूचि दिखा रहे हैं.
'समाज के लिए घातक है शिक्षा का घटता स्तर'
बैठक में ज्यादातर वक्ताओं की राय यही थी कि कुछ भी करके मुस्लिम समाज में घटते शिक्षा के स्तर को ऊपर कैसे उठाया जाए. लोगों का कहना था कि खाली दिमाग शैतान का घर होता है, ऐसे में कोशिश की जानी चाहिए कि कैसे भी करके बच्चों में शिक्षा हासिल करने को लेकर रुचि पैदा की जाए.
'रोकनी होगी बालिकाओं से छेड़खानी'
इक़बाल अंसारी ने कहा कि स्कूलों के आसपास बालिकाओं से छेड़खानी की वारदातों को भी रोकना होगा. सरकार और राजनीतिक व्यक्तियों को भी इस मिशन में शामिल करके उनकी जिम्मेदारी भी निर्धारित करनी होगी.