नई दिल्ली: रविवार को कालिंदी कुंज यमुना घाट पर स्वयंसेवी संगठनों के द्वारा लोक संसद का आयोजन किया गया, जहां दिल्ली के यमुना पर चर्चा की गई. इस कार्यक्रम में आम लोग शामिल हुए, जिन्होंने यमुना की बदहाली को लेकर अपनी-अपनी बातें रखीं. इस दौरान लोगों ने वजीराबाद से लेकर कालिंदी कुंज घाट तक 25 किमी. की यात्रा की. लोगों ने यमुना के वास्तविक स्वरूप पर अनुभव साझा किया और यमुना की दयनीय स्थिति के प्रति चिंता व्यक्त की गई.
इस दौरान कालिंदी कुंज यमुना घाट पर कई सामाजिक लोग पहुंचे और यमुना की बदहाली पर चिंता जाहिर की. पर्यावरणविद डॉ. फैयाज खुदसर ने कहा कि यमुना का वास्तविक स्वरूप बिगड़ गया है. आज गंदे नालों व फैक्ट्रियों के विषैले रसायन सीधे यमुना में मिल रहे हैं. इस कारण यमुना व नाले में फर्क करना मुश्किल है. आज यमुना ही नहीं बल्कि उस पर आधारित समूचा दिल्ली प्रांत का जीवन खतरे में है. सरकारों द्वारा यमुना के लिए संजीदगी से प्रयास नहीं हो रहा है और सफाई के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. इसके साथ ही लोगों को संगठित होकर यमुना के संरक्षण व संवर्धन में अपना दायित्व निभाने के लिए प्रेरित भी करने की जरूरत हैं.
लोक संसद के संयोजक रविशंकर तिवारी ने कहा कि हम सब को वापस प्रकृति केंद्रित व्यवस्था पर लौटना पड़ेगा और सरकार से स्वच्छ गांव, स्वच्छ पानी की मांग करनी होगी. उन्होंने कहा कि 4 जून को 1 लाख लोगों द्वारा यमुना के तट पर मानव श्रृंखला बनाया जायेगा. कार्यक्रम के संयोजक जीवकांत झा ने कहा कि 15 हजार नदियों में से 4500 विलुप्त हो गई हैं और 30 लाख कुंओं में से 20 लाख कुंओं का कुछ पता ही नहीं है.