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फेस रिकॉग्निशन सिस्टम से कालकाजी थाना पुलिस की गिरफ्त में आया बदमाश

दिल्ली पुलिस फेस रिकॉग्निशन सिस्टम (एफआरएस) का इस्तेमाल कर रही है. कालकाजी थाना पुलिस ने इस एफआरएस तकनीक से एक बदमाश को गिरफ्तार किया है. दरअसल इसकी सहायता से जेल से जमानत पर छूटे अपराधियों, संदिग्ध अपराधियों की पहचान के साथ ही उन वाहनों की भी पहचान की जा सकती है. जिनकी चोरी की एफआइआर दर्ज है. इसके अलावे इलाके के सभी चोर-उचक्कों का पूरा रिकॉर्ड रहता है.

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पुलिस की गिरफ्त में आया बदमाश

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Published : Aug 29, 2020, 7:52 AM IST

नई दिल्ली:साउथ ईस्ट दिल्ली में कालकाजी थाना पुलिस ने फेस रिकॉग्निशन सिस्टम (एफआरएस) तकनीक से एक बदमाश को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने उससे एक बटनदार चाकू बरामद किया है. आरोपी की पहचान गढ़ी गांव निवासी शिवम उर्फ शन्नू के रूप में हुई है.

शिवम की गिरफ्तारी हाल ही में दिल्ली पुलिस की ओर से जारी किए गए ई-बुक बीट सिस्टम के एफआरएस फीचर के मदद से की गई है. इस फीचर की मदद से किसी भी अपराधी को मौके पर ही पहचाना जा सकता है.

पुलिस की गिरफ्त में आया बदमाश


ऑफिशियल मोबाइल में एफआरएस सिस्टम

डीसीपी ने बताया कि कालकाजी थाने के एटीओ इंस्पेक्टर सर्वेश कुमार, एसआई नवीन खोखर, एएसआई प्रवीण कुमार व कॉन्स्टेबल वीरेंद्र कुमार के साथ बृहस्पतिवार को कालकाजी मंदिर के पास चेकिंग कर रहे थे, तभी उन्हें मंदिर के पास एक संदिग्ध व्यक्ति दिखा. पुलिस स्टाफ ने अपने ऑफिशियल मोबाइल में एफआरएस सिस्टम का इस्तेमाल करते हुए उसका फोटो खींचकर अपलोड किया.

चेहरे की पहचान से मिला आपराधिक इतिहास

डेटा के मुताबिक तुरंत उसका आपराधिक इतिहास पता चल गया. पुलिस को रिकॉर्ड से पता चला कि वो झपटमारी के तीन मामलों में पहले ही शामिल रहा है. जिसके बाद उसको हिरासत में लिया गया और उसकी तलाशी ली गई. तलाशी में उसके पास से एक बटनदार चाकू बरामद हुआ. जिसके बाद संबंधित धाराओं में मामला दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार किया गया. पुलिस पूछताछ में आरोपी ने बताया कि ये चाकू उसने अरुण से लिया था. फिलहाल पुलिस अरुण की तलाश कर रही है.

अपराधी के इतिहास के साथ FIR का पूरा रिकॉर्ड

बता दें कि फेस रिकॉग्निशन सिस्टम (एफआरएस) का इस्तेमाल दिल्ली पुलिस कर रही है. दरअसल, इसकी सहायता से जेल से जमानत पर छूटे अपराधियों, संदिग्ध अपराधियों की पहचान के साथ ही उन वाहनों की भी पहचान की जा सकती है. जिनकी चोरी की एफआइआर दर्ज है. इसके अलावे इलाके के सभी चोर-उचक्कों का पूरा रिकॉर्ड रहता है. उनका नाम, फोटो या उनके किसी भी पहचानपत्र को अपलोड करते ही उनका पूरा इतिहास पता चल जाता है.

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