इनफॉर्मा मार्केट इन इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर नई दिल्ली/ग्रेटर नोएडा: ग्रेटर नोएडा के इंडिया एक्सपो मार्ट में सोलर एनर्जी की तीन दिवसीय प्रदर्शनी रिन्यूएबल एनर्जी एक्सपो 2023 का शुक्रवार को समापन हो गया. प्रदर्शनी में 700 से अधिक प्रदर्शकों ने अपने उत्पादों का प्रदर्शन किया और इस प्रदर्शनी में करीब 40 हजार खरीदारों ने हिस्सा लिया. प्रदर्शनी में पहली बार बैटरी शो इंडिया का भी शुभारंभ किया गया था.
इनफॉर्मा मार्केट इन इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर रजनीश खट्टर ने कहा कि इस एक्सपो का उद्देश्य यह था कि हम देश में कैसे रिन्यूएबल एनर्जी को आगे बढ़ाएं. रिन्यूएबल एनर्जी को हिंदी में अक्षय ऊर्जा कहते हैं. यह सब प्राकृतिक सोर्सेज पर डिपेंड करती है. आज के समय में पूरी दुनिया में ग्रीन हाउसेस को बढ़ावा देने की बात की जा रही है उसमें रिन्यूएबल एनर्जी काफी अहम है. क्योंकि रिन्यूएबल एनर्जी से लाइट बनाने में कोई भी रॉ मैटेरियल अलग से नहीं लगाना होता है. इसमें काफी ज्यादा टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर इसे बनाया जा सकता है. आज भारत रिन्यूएबल एनर्जी बनाने में विश्व के चौथे पायदान पर है.
खट्टर ने बताया कि रिन्यूएबल एनर्जी को बनाने के साथ ही उसे स्टोर करने की भी सबसे ज्यादा जरूरत है. उसके लिए बैटरी का प्रयोग किया जाता है. ऐसे में बैटरी उपयोगिता को देखते हुए रिन्यूएबल एनर्जी के साथ ही बैटरी का भी इवेंट एक साथ शुरू किया है. नवीनीकरण ऊर्जा के क्षेत्र में दो पहलू महत्वपूर्ण है, पिछले दो दशकों में ग्लोबल मार्केट दोगुना हो गया है. अगले दो सालों में इसके भी दोगुनी होने की उम्मीद है. क्योंकि फॉसिल फ्यूल के बजाय नवीनीकरण ऊर्जा स्रोतों की मांग बढ़ रही है. उम्मीद है कि 2050 तक दुनिया की विद्युत की मांग का आधा हिस्सा पवन व सौर ऊर्जा द्वारा पूरा होगा.
खट्टर ने बताया आने वाले 2 दशकों में पवन एवं सौर ऊर्जा में आधुनिक तकनीक में चार गुना बढ़ोतरी होगी. हालांकि इस सेक्टर में कई चुनौतियां है. अगले दशक में तीन ट्रिलियन डॉलर निवेश की जरूरत होगी. इस मौके पर पूर्व अध्यक्ष एवं मैनेजिंग डायरेक्टर कुलजीत पोपली ने कहा कि वर्तमान में जलवायु परिवर्तन दुनिया के लिए बड़ी चुनौती है जिसे जल्द से जल्द हल करने की जरूरत है. इस संकट को हल करने के लिए हरित हाइड्रोजन ऊर्जा संग्रहण एवं इमोबिलिटी कारगर हो सकती है. हरित ऊर्जा में निवेश खासतौर पर भारत में ईवी का एडॉप्शन तेजी से बढ़ रहा है, जो परिवहन सेक्टर में होने वाले उत्सर्जन को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.
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