नई दिल्ली/नोएडा: ग्रेटर नोएडा बीटा-2 कोतवाली पुलिस ने मुठभेड़ में अंतरराष्ट्रीय वाहन चोर गिरोह के 5 आरोपियों को गिरफ्तार (Greater Noida police arrested car thieves) किया है. इनके कब्जे से पुलिस ने चोरी की 6 लग्जरी कार समेत कई सामान बरामद किया है. आरोपियों ने यूट्यूब और गैराज पर काम करके गाड़ियों को चोरी करने की आधुनिक तकनीक सीखी (Used to learn technology from YouTube how to steal) थी. पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर जेल भेज दिया है. पुलिस गिरोह के अन्य सदस्यों के बारे में जानकारी हासिल कर रही है. इस कार्रवाई को अंजाम देने वाली पुलिस टीम को पुरस्कृत किया जाएगा.
दरअसल, बीटा-2 कोतवाली पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली थी कि क्षेत्र में दिल्ली एनसीआर से गाड़ी चोरी कर बेचने वाला गिरोह सक्रिय है. पुलिस ने सूचना के आधार पर बीते 15 दिसम्बर की देर रात परी चौक पर वाहन चेकिंग शुरू कर दी. देर रात पुलिस को एक सफेद रंग की ब्रिजा कार आती दिखाई दी. पुलिस ने कार चालक को रुकने का इशारा किया, लेकिन पुलिस को देखकर कार सवार वहां से भाग निकला. पुलिस टीम ने कार का पीछा किया तो कार सवार लोगों ने पुलिस टीम पर फायरिंग शुरू कर दी.
चूहड़पुर अंडरपास के करीब पुलिस टीम की जवाबी कार्रवाई में कार सवार संदीप नागर, अभिजीत वर्मा को गोली लगी, जिन्हें उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया. पुलिस ने आरोपियों के एक अन्य सहयोगी अमरदीप को भी गिरफ्तार कर लिया. आरोपियों से पूछताछ के बाद पुलिस ने इनके दो अन्य साथी केशव और आशीष को भी गिरफ्तार कर लिया.
पुलिस ने आरोपियों के पास से 3 अवैध तमंचे, 6 कारतूस और 3 खोखा, एक पीट्ठू बैग में चार जोड़ी नम्बर प्लेट, एक कम्प्यूटर डिवाइस नई चाबियों में सोफ्टवेयर डालने के लिए, एक ड्रिल मशीन, दो प्लास छोटे, एक पेचकस, दो टी नुकीली गाडियों के लॉक तोड़ने के लिए, एक छेनी, एक पाना छोटा, एक चाबी पाना, ग्यारह चाबी नई मारूती कम्पनी, तीन चाबी नई महिन्द्रा कम्पनी की, अलग-अलग कम्पनियों के 6 मोबाइल और चोरी की 6 लग्जरी कार बरामद की गई.
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ऐसे देते थे वारदात को अंजाम:डीसीपी अभिषेक वर्मा ने बताया कि आशीष आठवीं पास है. वह गिरोह द्वारा निशाना बनाई गई गाड़ी को इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की मदद से चोरी कर लेता था. बाद में अभिजीत संदीप की मदद से गाड़ी को छिपाने का काम करता था. बाद में मौका पाकर गाड़ी की नम्बर प्लेट बदलकर सड़क मार्ग के रास्ते देश के विभिन्न शहरों में अपने रिसीवरों को गाड़ी सौंपते थे. यही गाड़ी को खरीददारों को डिलीवर करते थे.