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Shardiya Navratri 2023: सीआर पार्क के काली मंदिर में नवरात्रि की भव्य तैयारी, छठे दिन से शुरू होगी पूजा

Navratri 2023: दिल्ली के सीआर पार्क में बंगाली कमेटी द्वारा बड़े पैमाने पर पंडाल बना कर नवरात्र का उत्सव मनाया जाता है. यहां नवरात्र के छठे दिन से पूजा पाठ शुरू होता है. इस बार सीआर पार्क में 20 अक्टूबर से पूजा शुरू होगी, जो 24 अक्टूबर तक चलेगी.

काली मंदिर में नवरात्रि की भव्य तैयारी
काली मंदिर में नवरात्रि की भव्य तैयारी

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 19, 2023, 8:50 PM IST

काली मंदिर में नवरात्रि की भव्य तैयारी

नई दिल्ली:राजधानी दिल्ली के चितरंजन पार्क में स्थित प्रसिद्ध काली मंदिर में नवरात्रि की भव्य तैयारी की गई है. यहां पर नवरात्र के छठे दिन शुक्रवार से माता की विधिवत पूजा बंगाली परंपरा के अनुसार शुरू होगी. पूजा पंडाल में फायर सिस्टम व्यवस्थित किया गया है. सिक्योरिटी अरेंजमेंट किया गया है. कल्चरल प्रोग्राम किया जा रहा है.

सीआर पार्क स्थित काली मंदिर के जॉइंट सेक्रेटरी प्रदीप गांगुली ने बताया कि कली मंदिर के 50 वर्ष पूरे हो गए हैं. इस उपलक्ष्य में नवरात्रि इस बार भव्य मनाई जा रही है. यहां पर प्रतिदिन नवरात्रों के दौरान एक लाख लोग आते है, जिसको लेकर तमाम तरह की तैयारी की गई है. पंडाल इको फ्रेंडली बनाया गया है. 30 से 40 हजार लोगों के लिए भोग की व्यवस्था की जा रही है.

प्रसिद्ध काली मंदिर में पूजा मुख्य रूप से 20 अक्टूबर से शुरू होगी, जो 24 अक्टूबर को विसर्जन के साथ समापन होगा. देश भर में नवरात्रि की धूम देखी जा रही है. मिनी बंगाल के नाम से जाने जाने वाले चितरंजन पार्क में कई जगह भव्य पंडाल बनाकर नवरात्र सेलिब्रेट किया जाता है. इसमें चितरंजन पार्क के काली मंदिर में भी भव्य तरीके से नवरात्रों का उत्सव मनाया जाता है. यहां पर माता की प्रतिमा स्थापित कर विधिवत पूजा की जाती है.

कालकाजी मंदिर में भक्तों का लगा तांता: दिल्ली के प्रसिद्ध कालकाजी मंदिर नवरात्र के दौरान 24 घंटे भक्तों से गुलजार नजर आता है. यहां दिल्ली सहित देश के अलग-अलग हिस्सों से भक्त माता के दर्शन के लिए आते हैं. मंदिर आने वाले भक्तों की संख्या को लेकर यहां के पुजारी का दावा है कि एक लाख से अधिक भक्त प्रतिदिन माता के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं. आने वाले नवरात्रों के अंतिम दिनों में यह संख्या और बढ़ेगी. बता दें, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता ने रक्तबीज नामक दानव का संघार करने के लिए अपने मुख का विस्तार किया था. माता का वही विस्तारित रूप कालकाजी मंदिर में स्थापित है.

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