नई दिल्ली:महिलाओं में बढ़ती निःसंतानता यानी बांझपन को लेकर, दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान व आयुष मंत्रालय के संयुक्त तत्वाधान में मंगलवार को राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित की गई. इस दौरान प्रो. अभिमन्यु कुमार ने कहा कि, निःसंतानता देश की लाखों महिलाओं को प्रभावित करने के साथ उनके परिवारों और समुदायों पर भी असर डालती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, 37 प्रतिशत निःसंतान दंपतियों में निःसंतानता का कारण महिला है. भारत में यह समस्या बढ़ती जा रही है और लगभग 15 प्रतिशत दंपतियों को प्रभावित कर रही है. इस समस्या से निपटने के उपाय पर देशभर से आए सौ से अधिक प्रतिनिधियों ने चर्चा की.
इस अवसर पर अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान की निदेशक, प्रो. तनुजा नेसारी ने कहा कि, स्त्री रोग और प्रसूति तंत्र विभाग के इस सम्मेलन में देशभर से कई वैज्ञानिक, व्यवहारकर्ता और विद्वानों ने भाग लिया और अपनी सफलताओं की कहानियों को साझा किया. साथ ही साथ आयुर्वेद के माध्यम से अपने व्यावहारिक और वैज्ञानिक ज्ञान को भी विस्तारित किया. विभाग ने अपनी विशेष ओपीडी के माध्यम से महिला बांझपन के 500 से भी अधिक मामलों का सफलतापूर्वक इलाज किया है. आज जीवनशैली में बदलाव, महिलाओं में बांझपन का प्रमुख कारण बन रहा है. लेकिन इसके इलाज में आयुर्वेद एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.